नई दिल्ली. नवरात्रि 2018 के पांचवें स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता को मां दुर्गा का पांचवा स्वरुप माना जाता है. नवरात्र का पांचवा दिन बेहद खास होता है, क्योंकि स्कंदमाता को इच्छा की देवी माना जाता है, जो भी स्त्री-पुरुष नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की आराधना सच्चे दिल से करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. बता दें कि नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं नवरात्रि में 9 दिन का उपवास घर की सुख-शांति और खुशियाली के लिए किए जाते हैं.
स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय यानि माता पार्वती और भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय. स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय यानि भगवान स्कंद कुमार की माता है. इसी लिए इन्हें स्कंद माता कहा जाता है. मां स्कंदमाता की विधि से पूजा करने पर माता खुश होता हैं और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है. मोक्ष का मतलब होता है स्कंदमाता को खुश करने वाले शख्स को हर मुसीबत से छुटकारा मिल जाता है. नवरात्रि के पांचवे दिन माता की पूजा सच्चे मन से करने वालों की गोद भी हमेशा भरी रहती है.
मां स्कंदमाता के स्वरुप की बात करें तो शेर पर सवार माता चार भुजाओं वाली हैं, जिनके ऊपर के दोनों भुजाओं में कमल का फूल पकड़े हैं और भगवान स्कंद को गोद बिठाए हुए हैं. स्कंदमाता की पूजा करने से माता के साथ-साथ भगवान कार्तिकेय भी खुश हो जाते हैं. आज के दिन माता की जरूर पूजा करनी चाहिए. स्कंद माता की पूजा करते समय पूजा विधि के सभी नियमों का सही से पालन करना चाहिए.
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