Navami Maa Siddhidatri Puja Vidhi Shubh Muhurat : मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को अपनी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं. जो मनुष्य मां सिद्धिदात्री की कृपा चाहते हैं तो उन्हें लगातार इन सिद्धियों का जाप करते रहना चाहिए. जिससे सारे सुख की प्राप्ति होगी. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकीम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां होती हैं. जानिए नवमी के दिन की शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
नई दिल्ली. शारदीय नवरात्र के नौवें दिन दुर्गा माता की नौवीं शक्ति देवी सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है. ये सभी प्रकार कि सिद्धियों को देने वाली देवी हैं. नवरात्र -पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है. इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करना चाहिए. इससे भक्त के भीतर ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है. देवी सिद्धदात्री का वाहन सिंह है. मां पुष्प कमल पर आसीन होती हैं. नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम है.
देवी सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना का शुभ मुहूर्त :
इस साल नवमी महाअष्टमी के दिन से ही शुरू है. नवमी शुरू होने का समय है 6 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 54 मिनट है. 7 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगी.
अमृत काल मुहूर्त – 7 अक्टूबर 2019 सुबह 10.24 मिनट से 12.10 मिनट
अभिजित मुहूर्त- 7 अक्टूबर 2019 सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिमट तक
नवमी की दिन की पूजा-विधि: इस देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जातें हैं.
1.सिद्धदात्री देवी उन सभी भक्तों को महाविधालयों की अष्ट सिद्धिया प्रदान करती हैं, जो सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं.
2. इस दिन आप बैंगनी या जामुनी रंग पहनें. यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है.
3.सर्वप्रथम माता जी की चौकी पर सिद्धिदात्री देवी की फोटो या मूर्ती रख इनकी आरती और हवन करें, हवन करते समय देवी-देवताओं के नाम से हवि यानि आहुती देनी चाहिेए. सबसे अन्त में माता के नाम से आहुति देनी चाहिए.
4. इस मंत्र से करे देवी का पूजन
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी
5.भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा पश्चात अंत में इनके से हवि देकर आरती करनी चाहिए.
6.नौवें दिन सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूड़ी, काले चने, और नारियल को भोग लगाया जाता है. जो भक्त नवरात्रों का व्रत करते हैं , वे नवमीं पूजन के साथ समापन करते हैं. उन्हें इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
7. हवन में जो प्रसाद चढ़ाया जाता है उसे गरीबों के बीच बांटना चाहिए.
8. मां की पूजा के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. उन्हें देवी सिद्धिदात्री के प्रसाद के साथ दक्षिणा दी जाती है और स्पर्श कत आशीर्वाद लिया जाता है.
9.आठ दिन व्रत, नवमी पूजा और कन्याओं को भोजन कराने के बाद मां की विदाई दी जाती है.
देवी सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम
पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्
प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्
देवी सिद्धिदात्री का स्तोत्र मंत्र
कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते
पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते
विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी
भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते
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