नई दिल्लीः धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब ज्येष्ठ माह में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो इस अवधि को नवतपा कहा जाता है। इस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है और सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं। ऐसी परिस्थितियों में पृथ्वी पूरी तरह से ठंडी नहीं हो पाती और इसका तापमान काफी […]
नई दिल्लीः धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब ज्येष्ठ माह में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो इस अवधि को नवतपा कहा जाता है। इस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है और सूर्य की किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं। ऐसी परिस्थितियों में पृथ्वी पूरी तरह से ठंडी नहीं हो पाती और इसका तापमान काफी बढ़ जाता है। इसलिए शास्त्रों में नवतपा के दौरान वृक्षारोपण का अधिक महत्व बताया गया है। पेड़-पौधे लगाकर अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का अधिक महत्व है। इसे एक पवित्र और पूजनीय पौधा माना जाता है। माना जाता है कि घर में तुलसी का पौधा लगाने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए अपने घर में तुलसी का पौधा लगाना बहुत जरूरी है। आंवले के पेड़ को जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसलिए यह पेड़ और इसके फल भगवान विष्णु के पसंदीदा माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि आंवले के पेड़ की छाया में भोजन करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती है। धार्मिक मान्यता है कि केले के पेड़ में श्रीहरि, माता लक्ष्मी और गुरुदेव बृहस्पति का वास होता है। इसलिए इस वृक्ष का प्रयोग शुभ एवं मांगलिक कार्यों में किया जाता है।
पंचांग के मुताबिक, सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में 25 मई को प्रात 03 बजकर 16 मिनट पर प्रवेश करेंगे। जहां वह 08 जून को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट तक रहने वाले हैं। इसके पश्चात वह मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। ऐसे में 25 मई से नौतपा की शुरुआत होगी और 02 जून तक रहेगा।
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