नई दिल्लीः पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन नरसिम्हा द्वादशी होलिका दहन से पहले मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नरसिम्हा का अवतार लिया था और भगवान नरसिम्हा ने राक्षस राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। शुभ मुहूर्त फाल्गुन माह […]
नई दिल्लीः पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन नरसिम्हा द्वादशी होलिका दहन से पहले मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नरसिम्हा का अवतार लिया था और भगवान नरसिम्हा ने राक्षस राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था।
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 21 मार्च को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर हो रहा है। वहीं, यह तिथि 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदय तिथि के अनुसार, इस स्थिति में, 21 मार्च 2024, गुरुवार को नरसिम्हा देवदाशी मनाई जाएगी। इस अवधि के दौरान पूजा के घंटे इस प्रकार हैं.
सुबह 06 बजकर 24 से लेकर 07 बजकर 55 मिनट तक
सुबह 10 बजकर 57 से लेकर 12 बजकर 28 मिनट तक
नरसिम्हा द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्योदय होने पर अर्ध्य देने और व्रत का संकल्प लें। पूजा घर को अच्छी तरह साफ करने के बाद उस पर गंगा जल छिड़कें। अब चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान नरसिम्हा की तस्वीर या मूर्ति लगाएं. इसके बाद पूजा के दौरान भगवान नरसिम्हा को फल, फूल, धूप दीप, पंचमेवा, नारियल, अक्षत और पीतांबर चढ़ाएं। अंत में भगवान नरसिंह की आरती करें और पूजा के दौरान शंख बजाएं।
नरसिंह भगवान की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु आप नरसिंह द्वादशी पर इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं –
आपत्ति निवारक नरसिंह मंत्र
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
नरसिंह गायत्री मंत्र
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि | तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
संपत्ति बाधा नाशक नरसिंह मंत्र
ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय
ऋण मोचक नरसिंह मंत्र
ॐ क्रोध नरसिंहाय नृम नम:
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