नई दिल्ली. छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल नरक चतुर्दशी 27 अक्टूबर 2019 को मनाई जाएगी. इस दिन मृत्यु के देव यमराज की पूजा और व्रत रखा जाता है. नरक चतुर्दशी को नरक चौद, रूप चौदस, रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर के वध किया था. जिसके बाद लोगों ने इस दिन को त्योहार के रूप में मनाया था. तब से ही दिवाली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के रूप मनाए जाने की परंपरा चलती आ रही है.
नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा से पहले स्नान का शुभ मुहूर्त- सुबह 05.16 से 06.30 तक
पूजा करने की अवधि- 1 घंटा 13 मिनट
नरक चतुर्दशी पूजा विधि
हिंदू शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी पर नरक से बचने के लिए इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठाकर तेल की अच्छे से मालिश करने के पश्चात ही स्नान करना चाहिए. नहाने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं और पूरे विधि विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करें. शाम को 5 या 7 दीपक जलाएं और घर के चारों कोनों में रखें.
नरक चतुर्दशी महत्व
मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन सूबह तेल लगाकर अपामार्ग की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि विधिविधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था. कहा जाता है जो इस दिन यमराज की पूजा करता है उसके घर कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है. मृत्योपरांत भी उस घर का व्यक्ति नरक में नहीं जाता है.
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