Muharram 2019, karbala ki Jung: कर्बला में मुहर्रम का वो 10वां दिन, जब तपती गर्मी और भूख-प्यास की हालात में यजीद से जंग छेड़ चुके पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन शहीद हो गए.
नई दिल्ली. रमजान के बाद माह ए मुहर्रम इस्लाम में सबसे पवित्र माना गया है. इस महीने के 10वें दिन पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके परिवार समेत 72 लोग इस्लाम के लिए कर्बला की जंग में शहीद हुए थे. मुहर्रम को मातम का दिन भी कहा जाता है. देशभर में मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन ताजियां निकालकर मातम मनाते हैं. जानिए क्या है मुहर्रम का इतिहास.
अरब के मदीने शहर को छोड़कर इमाम हुसैन अपने परिवार समेत 72 लोगों के साथ ईराक के लिए निकले. इस दौरान बादशाह यजीद की फौज ने कर्बला में उनपर पहरा बैठा दिया. तपती गर्मी में पानी भी नहीं दिया गया. हुसैन के 18 साल के बेटे अली अकबर,13 बरस के भतीजे कासिम, 4 बरस की बेटी सकीना और 6 महीने के बेटे अली असगर समेत पूरा कुनबा प्यास से तड़प रहा था. कई लोग दम तोड़ चुके थे, चारों ओर तबाही का मंजर था.
Qatre Qatre pe yazeedo.n ki amaldaari hai,
Nehar pe aaj bhi abbas khade rahte hai.n…..#MuharramUlHaram #Muharram pic.twitter.com/5XoLlrhVEq— Dr. Rahat Indori – forever (@rahatindori) September 9, 2019
कर्बला की जंग पर मशहूर शायर डॉक्टर राहत इंदौरी की शानदार शायरी
यजीद की सभी तरह की पाबंदियों के बाद भी इमाम हुसैन नहीं झुके और आखिरकार यलगार हुआ. कम ही सही लेकिन हुसैन की फौज ने यजीद के सिपाहियों से लौहा लेना शुरू कर दिया. लेकिन भूख-प्यास के मारे कहां से इतनी ताकत लेते की यजीद की सेना को हरा सके. फिर कत्लेआम हुआ, कर्बला में हर तरफ लहु की बूंदे बिखर गईं. यजीद को जरा भी रहम न था किसी पर. मुहर्रम के 10वें दिन इमाम हुसैन भी कर्बला की जंग में शहीद हो गए.
हुसैन को शहीद करने के बाद भी यजीद जैसे आदमखोर की भूख खत्म नहीं हुई और उसकी फौज रात को खेमें लूटने पहुंच गईं. लूटपाट के बाद वहां आग लगा दी गई. औरतें और बच्चे खुले आसमान की नीचे आ गए. सभी को पकड़कर यजीद की कैद में डाल दिया गया. कर्बला में हुसैन की शहादत की याद में ही मुहर्रम के अशुरा के दिन मातम मनाया जाता है.