Muharram 2018: इस्लाम में नए महीने की शुरुआत मुहर्रम (Muharram) के महीने से होती है. इस्लाम में इस महीने को हिजरी भी कहा जाता है. 12 सिंतबर से 9 अक्टूबर तक इस साल मुहर्रम का महीना रहेगा. मुहर्रम खुशियों का नहीं बल्कि कर्बला के युद्ध में हजरत हुसैन की शहादत को याद कर मातम मनाने का महीना है.
नई दिल्ली. इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत मुहर्रम से होती है. यानी इस्लामी साल का पहला महीना मुहर्रम का महीना होता है. इस महीने को हिजरी भी कहा जाता हैृ. इसी महीने से हिजरी सन् की शुरुआत होती है. इसके साथ ही मुहर्रम के महीने को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शामिल किया जाता है. मुहर्रम की तारीख हर साल अलग-अलग होती है. इस्लाम के अनुसार, इस साल 12 सितंबर से 9 अक्टूबर तक मुहर्रम का महीना रहेगा.
क्यों मनाते हैं मुहर्रम?
इस्लाम के मुताबिक, इराक में याजीद नामक एक जालिम बादशाह अल्लाह को नहीं मानता था. उसकी चाहत था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में आ जाएं. हालांकि हुसैन को ये मंजूर नहीं था. जिसके बाद हजरत हुसैन ने याजीद के विपक्ष जंग का एलान छेड़ दिया. यह एक धर्म युद्ध था जिसमें इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन, उनके परिवार और दोस्तों को कर्बला के युद्ध में शहीद कर दिया गया था. वह मुहर्रम का महीना था इसलिए इस महीने को उनकी याद में मनाया जाता है.
कैसे मनाते हैं मुहर्रम?
मुहर्रम कोई खुशियों का नहीं बल्कि मातम का महीना है. इस महीने मुस्लिम शिया समुदाय के लोग 10वें मुहर्रम के रोज का काले कपड़े पहनकर हजरत हुसैन और उनकी परिवार को याद करते हैं. उनकी याद में सड़को पर जुलूस निकालकर मातम मनाया जाता है. इस महीने की 9 और 10 तारीख को मुस्लिम लोग रोजे रखते हैं और घर और मस्जिदों में इबादत करते हैं.
क्या मुहर्रम का महत्व
हजरत इमाम हुसैन की शहादत के लिए मातम मनाने का महीना होता है मुहर्रम. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अपनी सत्ता कायम रखने के लिए बादशाह यजीद ने उनके परिवार और हुसैन पर जुल्म किया और 10वें मुहर्रम को उनकी शहादत हो गई. हजरत हुसैन का मकसद इस्लाम को इंसानियत को जिंदा रखना था. इतिहास के पन्नों में यह धर्म युद्ध हमेशा के लिए दर्ज हो गया.