नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व की शुरूआत हो चुकी है और आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है यानी नवरात्र का चौथा दिन जिसमे मां दुर्गा के मां कूष्मांडा रूप की पूजा अराधना होती है मां के हर रूप की अलग कथा होती है. जो कुछ समझाने के उदेश्य से […]
नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व की शुरूआत हो चुकी है और आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है यानी नवरात्र का चौथा दिन जिसमे मां दुर्गा के मां कूष्मांडा रूप की पूजा अराधना होती है मां के हर रूप की अलग कथा होती है. जो कुछ समझाने के उदेश्य से होती है जिसकी जानकरी हर सनातनी को जरूर होनी चाहिए तो चलिए जानते है मां कूष्मांडा की रोचक कथा के बारे में और मंत्र जाप करनें से होती है क्या मनोकामना पूर्ति.
मां कूष्माण्डा की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर घना अंधकार था और जब कोई भी जीव जंतु नहीं था ना ही पृथ्वी थी. तब मां दुर्गा ने इस अंड अर्थात् ब्रह्मांड की रचना की थी. इसी कारणवश उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है. सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी पुकारा जाता हैं . मां कूष्माण्डा कि आठ भुजाएं हैं और मां शेर पर सवार हैं। मां के सात हाथ है जिनमें चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, अमृत से भरा हुआ कलश,और बाण , कमल का फूल है तथा आठवें हाथ में जपमाला है जिसमे सभी प्रकार की सिद्धिया समाहित है. इस भी को धारण कर मां पृथ्वी की हर एक विधा को शक्ति को दर्शाती हुई दिखाई देती है मां कूष्माण्डा कि अराधना करनें से पृथ्वी के सभी सुख और विधाओं को सीखने समझनें की कामना कर सकते हैं,
मां कूष्माण्डा का मंत्र
– ॐ कूष्माण्डायै नम: ध्यान मंत्र – वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ इस मंत्र का जाप करने से मां प्रसन्न होकर कर मनवांछित फल प्रदान करतीं हैं मां कूष्माण्डा को अष्टभुजाओं वाली भी कहा जाता है मां के इस रूप को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है मां का सरल स्वभाव की वजह से मां को हर कोई प्रसन्न कर सकता है .
मां की उपासना से मिलता है ये सब
मां कूष्माण्डा की उपासना करने से सिद्धियों की , निधियों की प्राप्ति होती है . सभी रोग-शोक दूर होते हैं और आयु-यश में भी वृद्धि होती है. मां की उपासना से किसी भी चीज को पाया जा सकता है फिर चाहें वो धन हो या यश, कीर्ति.