नई दिल्ली: नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का विशेष अवसर होता है। इस समय घरों में भक्तजन माता का स्वागत पूरे श्रद्धा और भक्ति से करते हैं। घर के मंदिर को सजाने का सही तरीका न केवल पूजा को सुंदर और शांति से भर देता है, बल्कि इससे घर का […]
नई दिल्ली: नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का विशेष अवसर होता है। इस समय घरों में भक्तजन माता का स्वागत पूरे श्रद्धा और भक्ति से करते हैं। घर के मंदिर को सजाने का सही तरीका न केवल पूजा को सुंदर और शांति से भर देता है, बल्कि इससे घर का वातावरण भी पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। यहां जानिए, किस तरह आप अपने घर के मंदिर को नवरात्रि के लिए सजा सकते हैं।
सबसे पहले मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें। धूल-मिट्टी को हटाकर, साफ पानी से मंदिर के हर कोने को पवित्र करें। मंदिर के चारों ओर गंगाजल का छिड़काव करना शुभ माना जाता है। यह शुद्धिकरण नवरात्रि की पूजा के लिए बहुत जरूरी होता है, जिससे देवस्थान की पवित्रता बनी रहती है।
मूर्ति को नए, साफ और सुंदर वस्त्र पहनाएं। लाल और पीला रंग माता को विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए देवी की प्रतिमा को इन्हीं रंगों के कपड़े पहनाएं। इसके अलावा, आप देवी की प्रतिमा को फूलों की माला और आभूषण से सजा सकते हैं। कपड़ों में सिंपल डिजाइन और सादगी बनाए रखना शुभ माना जाता है।
मंदिर के आसपास फूलों का प्रयोग करें। गेंदे के फूल, गुलाब और चमेली के फूल देवी को बहुत प्रिय होते हैं। इनका इस्तेमाल आप मंदिर के द्वार और प्रतिमा के आसपास कर सकते हैं। साथ ही, मंदिर के सामने रंगोली बनाएं। रंगोली में लाल, पीला और सफेद रंग का प्रयोग करें, क्योंकि ये शुभता और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
मंदिर में धूप-दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। दीपक का स्थान हमेशा देवी की मूर्ति के सामने होना चाहिए। इसके अलावा, रोजाना ताजे फूलों की माला चढ़ाएं। माला में खासकर गेंदे और गुलाब के फूल का इस्तेमाल करें, क्योंकि यह माता के प्रिय फूल माने जाते हैं।
नवरात्रि के दौरान मंत्रों और देवी भजनों का पाठ करें। इससे घर का वातावरण शांतिपूर्ण और सकारात्मक रहता है। आप सुबह और शाम के समय मंत्रों के साथ पूजा करें। यह घर में शांति और समृद्धि लाने के लिए उत्तम माना जाता है।
नवरात्रि में अखण्ड ज्योति जलाना भी विशेष महत्व रखता है। यह ज्योति नौ दिनों तक लगातार जलती रहती है, और यह माँ दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक मानी जाती है। इसे शुद्ध घी या तिल के तेल में जलाना उत्तम होता है।
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