Mokshada Ekadashi 2020: जानिए मोक्षदा एकादशी पर क्यों नहीं खाया जाता है चावल, हो सकती है ये बड़ी परेशानी

Mokshada Ekadashi 2020: हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी के व्रत का महत्वपूर्ण स्थान है. भगवान विष्णु के इस पावन व्रत मोक्षदा एकादशी के दिन चावल न खाने का प्रावधान है. दरअसल जो व्रत नहीं है उन्हें भी एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.

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Mokshada Ekadashi 2020: जानिए मोक्षदा एकादशी पर क्यों नहीं खाया जाता है चावल, हो सकती है ये बड़ी परेशानी

Aanchal Pandey

  • December 19, 2020 8:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

Mokshada Ekadashi 2020: हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. भगवान विष्णु के लिए रखे जाने वाले मोक्षदा एकादशी के व्रत को सभी व्रतो में श्रेष्ठ कहा गया है. हर माह में दो पक्ष होते हैं, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. दोनों पक्षों की ग्याहरवीं तिथि को एकादशी तिथि कहा जाता है. इस तरह से वर्ष भर में 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं. जिस वर्ष अधिक मास होता है, उस वर्ष एकादशी की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. 25 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जाएगा.

बता दें कि मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूरे विधि विधान से पूजा का प्रावधान है. इस दिन चावल खाना वर्जित माना गया है. जो लोग ये व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी एकदाशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए. इसके पीछे पुराणों और शास्त्रों में कई तरह के तर्क दिए गए हैं.

जानें क्यों एकादशी के दिन नहीं खाया जाता है चावल

पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था. और उनका अंश पृथ्वी में समा गया. माना जाता है कि वहां पर जौ और चावल कि उत्पत्ति हुई. जिस दिन उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया, उस दिन एकादशी थी. इसलिए एकादशी तिथि के दिन जौ और चावल खाने को वर्जित माना गया है. माना जाता है कि जो लोग इस दिन चावल का सेवन करते हैं वे ऋषि मेधा के रक्त और मांस का सेवन करते हैं

इसके पीछे यह है मान्यता

मान्यताएं कहती हैं कि जो लोग एकादशी तिथि को चावल खाते हैं, उन्हें अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म मिलता है. हालांकि जो लोग द्वादशी तिथि को चावल खाते हैं उन्हें इस योनि में जन्म लेने से मुक्ति मिल जाती है.

एकादशी पर चावल न खाने के पीछे है ये तर्क

इसके अलावा एकादशी तिथि पर चावल न खाने के विषय में तर्क यह दिया जाता है कि चावल का सेवन करने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है. इससे व्रती का मन विचलित और चंचल हो जाता है. जिससे व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है. इसलिए भी एकादशी व्रत में चावल का सेवन वर्जित माना जाता है.

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