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Mauni Amavasya 2024: कब होगी 2024 की मौनी अमावस्‍या? जानें महत्‍व और स्‍नान-दान का शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली। भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 26 जनवरी से माघ के महीने की शुरूआत होने जा रही है। बता दें कि माघ के महीने में पवित्र नदियों में स्‍थान करने, भगवान की पूजा-अर्चना करने और कल्‍पवास करने का बड़ा महत्‍व होता है। इस समय माघ के महीने की अमावस्‍या को बहुत ही […]

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Mauni Amavasya 2024
  • January 9, 2024 7:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

नई दिल्ली। भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 26 जनवरी से माघ के महीने की शुरूआत होने जा रही है। बता दें कि माघ के महीने में पवित्र नदियों में स्‍थान करने, भगवान की पूजा-अर्चना करने और कल्‍पवास करने का बड़ा महत्‍व होता है। इस समय माघ के महीने की अमावस्‍या को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जिसे मौनी अमावस्‍या (Mauni Amavasya 2024) भी कहते हैं। मौनी अमावस्या पर तीर्थ स्‍थल पर स्‍नान करने, दान करने और मौन व्रत रखने का महत्‍व है। मान्‍यता के अनुसार, मौनी अमावस्‍या के दिन जो व्‍यक्ति गंगा स्‍नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मौनी अमावस्या 2024 पर स्‍नान-दान का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ अमावस्या (Mauni Amavasya 2024) की शुरुआत 9 फरवरी 2024 की सुबह 8 बजकर 02 मिनट से होकर 10 फरवरी 2024 की सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्‍त होगी। इस तरह से 9 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्‍या मानी जाएगी। इस दिन स्नान-दान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05.21 से सुबह 06.13 तक है।

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जानें क्‍यों कहा जाता है मौनी अमावस्या?

दरअसल, माघ अमावस्या के दिन को ‘मौनी’ अमावस्‍या कहने के पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि इसी दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। इसी लिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाने लगा। इस दिन मौन व्रत रखने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। साथ ही यह दिन पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्‍नान करने और तिल, तिल की निर्मित मिठाई, तिल का तेल, आंवला, वस्त्र आदि दान करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से मृत्‍यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा प्रयागराज में संगम तट पर स्‍नान करने से आयु लंबी होती है और बीमारियों से निजात मिलता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है। जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।)

 

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