नई दिल्ली। माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या(Mauni Amavasya 2024) कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन त्रिवेणी या गंगा जैसे पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने से पुण्य […]
नई दिल्ली। माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या(Mauni Amavasya 2024) कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन त्रिवेणी या गंगा जैसे पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने से पुण्य फलों की प्राप्त होता है। अगर आप किसी तीर्थ स्थल पर जाने में असमर्थ हैं तो घर पर ही पानी में त्रिवेणी या गंगाजल मिलाकर स्नान करके इसका लाभ उठा सकते हैं। साथ ही मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला और कंबल का दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।
ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष मिलता है। साथ ही पुण्य फलों की प्राप्ति होती है, पितर प्रसन्न होते हैं और पितरों के आशीर्वाद से सारे काम भी पूरे होते हैं। वहीं गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अमावस्या के दिन पितर अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान करने, दान व पितरों को भोजन अर्पित करने से वो प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या आरंभ – 9 फरवरी, सुबह 8 बजकर 02 मिनट से
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या समाप्त- 10 फरवरी, सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर
(Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। जिसका किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं की गई है। यहां दी गई किसी भी जानकारी या मान्यता पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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