नई दिल्लीः महाभारत में अर्जुन को सबसे साहसी और शक्तिशाली योद्धा माना गया है। आप अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के बारे में जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि अर्जुन का एक किन्नर पुत्र भी था, जो किन्नरों का देवता बना। आज हम आपको उससे जुड़ी कहानी बताने जा रहे हैं। दरअसल, नाग राजकुमारी उलूपी ने खुद अर्जुन को मारने की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन जैसे ही उसने अर्जुन को देखा, वह उस पर मोहित हो गई।
उसने अर्जुन को मारने का इरादा छोड़ दिया और उन्हें नाग लोक ले आई। दोनों ने शादी कर ली। अर्जुन नाग लोक में नहीं रह सकते थे, इसलिए कुछ समय बाद वह वहां से चले गए। अर्जुन के जाने के बाद उलूपी ने इरावन नाम के एक पुत्र को जन्म दिया।
मान्यता है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने युद्ध में जीत के लिए मां काली की पूजा की थी। लेकिन इस पूजा को पूरा करने के लिए एक राजकुमार की बलि देना जरूरी था। अर्जुन के बेटे इरावन बलि के लिए आगे आए, लेकिन साथ ही उन्होंने यह शर्त भी रखी कि वह शादी करने के बाद ही बलि देंगे।
पांडवों के सामने समस्या थी कि कौन सी राजकुमारी एक दिन के लिए इरावन से शादी करेगी और अगले दिन विधवा हो जाएगी। इस समस्या के समाधान के लिए भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण कर इरावन से विवाह किया। इरावन को अरावन के नाम से भी जाना जाता है। विवाह के अगले दिन इरावन की बलि दे दी गई। किन्नर समाज में कई रीति-रिवाज प्रचलित हैं। ऐसी ही एक प्रथा है कि किन्नर एक रात के लिए अपने देवता इरावन से शादी करते हैं और अगले दिन विधवाओं की तरह विलाप करते हैं, क्योंकि विवाह के अगले दिन इरावन की मृत्यु हो गई थी।
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