अध्यात्म

Margashirsha Purnima 2023: कब है इस साल की आखीरी पूर्णिमा? जानें उपाय, महत्व और तिथि

नई दिल्ली: मार्गशीर्ष(Margashirsha Purnima 2023) मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है। इसे बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, यह दान, धार्मिक कार्य और देवी-देवताओं की पूजा करने का महीना है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है, मैं महीनों में सबसे शुभ मार्गशीर्ष माह हूं।

भक्त पवित्र नदियों में तपस्या करते हैं

ऐसा भी कहा जाता है कि सतयुग युग की शुरुआत इसी महीने से हुई थी। इस दिन किया गया स्नान, दान और तपस्या अत्यधिक फलदायी होती है। पूर्णिमा के इस दिन, हजारों भक्त हरिद्वार, बनारस, मथुरा और प्रयागराज की पवित्र नदियों में स्नान और तपस्या करते हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा ग्रह के प्रत्येक तत्व पर पूर्ण नियंत्रण रखता है। इसलिए, इसे “दिव्यता का दिन” भी कहा जाता है। इसके अलावा, यह हिंदू कैलेंडर के सबसे पवित्र महीने का आखिरी दिन माना जाता है। शास्त्रों में इस दिन दान करना विशेष लाभकारी(Margashirsha Purnima 2023) बताया गया है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 तिथि

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा: 26 दिसंबर 2023
  • तिथि प्रारंभ: 26 दिसंबर 2023 को प्रातः 05:46 बजे
  • तिथि समाप्त: दिनांक 27, 2023 को प्रातः 06.02 बजे
  • स्नान मुहूर्त: सुबह 05.22 – सुबह 06.17
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12.00 – दोपहर 12.42
  • सत्यनारायण पूजा: सुबह 09.46 – दोपहर 01.39
  • चंद्रोदय समय: शाम 04.45
  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: रात 11.54 से – देर रात 12.49 तक, 27 दिसंबर

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

इस पूर्णिमा पर व्रत रखने और देवी-देवताओं की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर उपवास करते समय निम्नलिखित व्रत अनुष्ठान करने चाहिए:

  • इस दिन भगवान नारायण की पूजा करने का विधान है। इसलिए इस पूर्णिमा की सुबह-सुबह भगवान का नाम लेकर व्रत का संकल्प लें।
  • स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहनें और आचमन (पूजा से पहले व्यक्ति को शुद्ध करने की प्रक्रिया) करें।
  • पूजा स्थल पर एक वेदी बनाएं और उसमें हवन के लिए अग्नि जलाएं। फिर अग्नि को तेल, घी, बूरा आदि की आहुति दें।
  • हवन समाप्ति के बाद श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु का नाम स्मरण करते हुए अपना व्रत पूर्ण करें।
  • रात्रि में भगवान नारायण की मूर्ति के पास सोयें।
  • अगले दिन जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें।

 

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Janhvi Srivastav

मैं जान्हवी श्रीवास्तव, मैंने अपना ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी और मास्टर्स माखनलाल यूनिवर्सिटी भोपाल से किया है। मुझे प्रिंट और सोशल मीडिया का अनुभव है, अभी मैं इंडिया न्यूज़ के डिजिटल प्लेटफार्म "इनखबर" में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर हूं।

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