Margashirsha Purnima 2020: इस दिन पड़ रही है मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Margashirsha Purnima 2020: हिंदू धर्मशास्त्रों में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्वपूर्ण स्थान है. इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 30 दिसंबर को पड़ रही है. इस आर्टिकल में हम आपकों की मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताने वाले हैं, इस दिन भगवान श्री सत्य नारायण की पूजा का प्रावधान है.

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Margashirsha Purnima 2020: इस दिन पड़ रही है मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Aanchal Pandey

  • October 13, 2020 5:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

Margashirsha Purnima 2020: मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा 30 दिसंबर को पड़ रही है, इस दिन स्नान और दान के साथ भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना भी की जाती है. लेकिन इस दिन आपको भगवान सत्यनारायण की पूजा विधिवत ही करनी चाहिए. जिससे आपको आपकी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

मार्गशीष पूर्णिमा 2020 शुभ मुहूर्त 

मार्गशीष पूर्णिमा प्रारम्भ – सुबह 7 बजकर 54 मिनट से (29 दिसम्बर 2020)

मार्गशीष पूर्णिमा समाप्त – अगले दिन सुबह 8 बजकर 57 मिनट तक (30 दिसम्बर 2020)

मार्गशीष पूर्णिमा की पूजा विधि 

  • श्रावण पूर्णिमा के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए. यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते तो आप नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें.
  • इसके बाद एक साफ चौकी पर गंगाजल छिड़कर उस पर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें और पीले रंग का वस्त्र बिछाएं.
  • चौकी पर वस्त्र बिछाने के बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं. जिसमें तुलसीदल अवश्य हो.
  • मूर्ति स्थापित करके उन्हें पीले वस्त्र, पीले फल और पीले रंग के पुष्प अर्पित करें और धूप व दीप जलाएं.
  • इसके बाद भगवान सत्यनारायण की विधिवत पूजा करें.
  • पूजा में भगवान सत्यानारायण की कथा पढ़नी अथवा सुननी अवश्य चाहिए. क्योंकि कथा के बिना भगवान सत्यनारायण की पूजा अधूरी मानी जाती है.
  • इसके बाद भगवान सत्यनारायण की धूप व दीप से आरती उतारें और हवन करें.
  • हवन के बाद भगवान सत्यनारायण को पंजीरी के प्रसाद का भोग लगाएं.
  • भगवान सत्यनाराण को पंजीरी के प्रसाद का भोग लगाने के बाद इसका सभी लोगों के बीच में वितरण करें और स्वंय भी ग्रहण करें.
  • प्रसाद ग्रहण करने से पहले भगवान सत्यनारायण से पूजा में हुई किसी भी गलती के क्षमा याचना अवश्य करें.

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