Margashirsha Amavasya 2018: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष स्थान है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. क्योंकि अगहन का महीना मां लक्ष्मी को प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि अगहन अमावस्या के दिन विधि-विधान से पूजा करने पर पितृ प्रसन्न होते हैं. वहीं इस दिन व्रत रखना और गंगा स्नान के भी विशेष महत्व दिया जाता है.
नई दिल्ली. हिंदू धर्म में मार्गशीष अमावस्या का महत्वपूर्ण स्थान है. मार्गशीर्ष या अगहन के मास में आने वाली अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या कहा जाता है. ये अमावस्या अगहन महीने के कृष्ण पक्ष में आती है. मार्गशीर्ष महीने में आने वाली अमावस्या को इसलिए भी विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि ये अमावस्या मां लक्ष्मी के प्रिय अगहन माह में आती है. अगहन महीने में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है.
इस बार अगहन महीने में मार्गशीर्ष अमावस्या 7 दिसंबर को है. ऐसा कहा जाता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश हो जाता है. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि जो दंपति संतानहीन हैं उन्हें मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन जरूर व्रत रखना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से उन्हें संतान प्राप्ति होती है. इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहूर्त 6 दिसंबर की रात 12 बजकर 12 मिनट से शुरू हो रहा है. जो अगले दिन 7 दिसंबर को 12 बजकर 50 तक रहेगा.
मार्गशीर्ष अमावस्या को अगहन और पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन गंगा स्नान को विशेष महत्व दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पितृ प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत रखने से कुंडली दोष भी समाप्त हो जाते हैं. महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन के अगहन मास में ही गीता का ज्ञान दिया था जिसके कारण मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष स्थान है.
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