नई दिल्ली, Makar Sankranti हर त्यौहार पर कोई न कोई व्यंजन जरूर बनाए जाते हैं. उसी तरह मकर संक्रांति पर भी गुड़ और तिल खाने का रिवाज़ है. इसके बिना मकर संक्रांति अधूरी मानी जाती है. ऐसा क्यों है और इसके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण है, आइये जानते हैं.
मकर संक्रांत का त्यौहार पोर्ष माह में पड़ता है साल के इस समय अधिक सर्दी पड़ती है. इसलिए इन् दिनों शरीर को गरम रखने वाली चीज़ें खाई जाती हैं. टिल और गुड़ की तासीर गर्म मानी जाती है.
संक्रांत का त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दौरान मराठी घरों में आने वाले मेहमानों को गुड़ और टिल के व्यंजन परोसे जाते हैं. व्यंजनों को परोसते हुए मराठी घरों में एक कहावत, ‘तिल, गुड़ घ्या नि गोड गोड बोला’ बोली जाती है. इसका अर्थ है की गुड़ और तिल खाओ और अच्छा अच्छा बोलो.
संक्रांत के समय खाए जाने वाले गुड़ के अपने ही फायदे होते हैं. तिल में मौजूद तेल हमारे शरीर का तापमान सही बनाए रखता है. वहीँ, गुड़ आयरन और विटामिन c से भरपूर होता है. गुड़ की तासीर के गर्म होने से ये सर्दियों में फायदेमंद होता है. सास सम्बंधित बीमारियों से लड़ने में भी गुड़ लाभकारी है.
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