Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति के दिन क्यों खाते हैं खिचड़ी? जानिए महत्व

नई दिल्ली। हिंदू धर्म के अनुसार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का सांस्कृतिक और ज्योतिषी महत्व है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। वहीं द्रिक पंचांग के मुताबिक, 2024 की मकर संक्रांति 15 जनवरी के दिन सुबह 2 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी। साथ ही इस दिन दही चूड़ा और खिचड़ी जैसे पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे का ज्योतिषी कारण है?

जानें ज्योतिषी महत्व

वैसे तो खिचड़ी आम दिनों में भी खाई जाती है। लेकिन मकर संक्रांति के दिन खाई जाने वाली खिचड़ी का खास महत्व माना जाता है। साथ ही इस दिन खिचड़ी में डाली जाने वाली सामग्री का भी अपना अलग महत्व होता है। दरअसल, ज्योतिष शास्त्र में खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से जोड़ा जाता है, जबकि दालों को शनि ग्रह के प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाता है। इसके अलावा खिचड़ी में इस्तेमाल की जाने वाली हल्दी को बृहस्पति का प्रतीक माना जाता है। वहीं नमक का संबंध शुक्र ग्रह से बताया गया है और इसमें शामिल की जाने वाली सब्जियों का संबंध बुध ग्रह से होता है। मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।

यही नहीं, खिचड़ी शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने में मददगार होती है। मुख्य रूप से देखा जाए, तो शनि के नकारात्मक प्रभाव का अनुभव करने वाले व्यक्तियों में इस प्रभाव को करने के लिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की सलाह भी दी जाती है। ज्योतिष के अनुुसार, ऐसा करने से शनि का अशुभ प्रभाव कम होता है। ज्योतिषीय कारणों के अलावा इसके पीछे एक स्थानीय तर्क भी दिया जाता है। जिसके अनुसार, कई क्षेत्रों में धान की फसल जनवरी के महीने में पक जाती है और इस काटने के बाद चूड़ा- चावल बनाया जाता है।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का शुभ मुहूर्त

15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति के दिन का शुभ समय सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम के 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इसमें महा पुण्य काल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजे तक रहेगा यानी कुल मिला कर एक घंटा 54 मिनट तक। इसके साथ ही सुबह के 7 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 7 मिनट तक रवि योग बनने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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मकर संक्रांति के दिन करें दान

बता दें कि मकर संक्रांति का न सिर्फ सांस्कृतिक उत्सवों का समय है, बल्कि ज्योतिषीय मान्यताओं और प्रथाओं में गहराई से निहित एक अवसर भी है। देखा जाए तो नए चावल का सर्दियों के दिनों में उपयोग करने का वैज्ञानिक कारण भी माना गया है। यही कारण है कि इस दिन खिचड़ी खाई जाती है। साथ ही मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा है। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन तिल, घी, कच्ची खिचड़ी, गुड़ और गर्म कपड़े का दान करने से सूर्यदेव के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।

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