नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बड़ा ही विशेष महत्व है। माना जाता है कि जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति(Makar Sankranti 2024) आती है। इस दिन स्नान-दान करने का भी काफी महत्व है। मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने […]
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बड़ा ही विशेष महत्व है। माना जाता है कि जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति(Makar Sankranti 2024) आती है। इस दिन स्नान-दान करने का भी काफी महत्व है। मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने से भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति को हर कष्ट से छुटकारा मिलता है। साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ये भी माना जाता है कि इससे कई जन्मों का फल प्राप्त होता है। इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी 2024 को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं इस दिन किन चीजों का दान करने से सूर्यदेव के साथ शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के दिन तिल का दान अवश्य करना चाहिए। ये मान्यता है कि तिल का दान करने से भगवान सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होने हैं। तिल का दान करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है और मुसीबतों से छुटकारा मिलने के साथ ही मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।
मकर संक्रांति के दिन घी का दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से जातक को हर बीमारी से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही कुंडली में सूर्य-गुरू बृहस्पति की स्थिति भी मजबूत होती है।
मकर संक्रांति के दिन गुड़ के दान का विशेष महत्व है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन मुरमुरा, तिल और गुड़ से बने लड्डू का दान करना चाहिए। शिव पुराण में भी इस दान को करने वाले को तरक्की और मान सम्मान की प्राप्ति होती है। साथ ही गुरु बृहस्पति और सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उड़द और चावल का जान किया जाता है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कुंडली में गुरु, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इस दिन चावल और उड़द दाल की खिचड़ी का सेवन करना चाहिए।
मकर संक्रांति का त्योहार सर्दियों में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन गर्म कपड़ों या कंबल आदि का दान करना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्रप्ति होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। जिसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।)
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