Makar Sankranti 2021: इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश लेते हैं और अपनी राशि बदलते हैं जिसे संक्रांति कहा जाता है. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन को साल की नई फसल और नई ऋतु के आगमन के लिए भी मनाया जाता है.
नई दिल्ली : हिंदू धर्म में मकर संक्रांति सूर्यदेव के मकर राशि में गोचर करने पर मनाई जाती है. मना जाता है कि इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश लेते हैं और अपनी राशि बदलते हैं जिसे संक्रांति कहा जाता है. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन को साल की नई फसल और नई ऋतु के आगमन के लिए भी मनाया जाता है. इस साल पूरे देश में 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव की खास उपासना की जाती है, जिससे सूर्य देव का आशिर्वाद प्राप्त हुता है.
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
सुबह 8.30 बजे से शाम 5.46 तक
मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनने की परंपरा की शुरूआत बाबा गोरखनाथ ने की थी. कहा जाता है कि जब खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था, तो योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमजोर हो रहे थे. जिसके कारण योगियों की दिन-ब-दिन तबियत बिगड़ने लगी. इस समस्या का हल निकालते हुए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ बनाने की सलाह दी थी जिसके चलते इस दिन खिचड़ी बनाई जाती है.
मकर संक्रांति की पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन सुबह उठकर नदी में स्नान करने का बड़ा महत्व माना जाता है. अगर पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिला कर स्नान कर लें और सूर्य देव समेत सभी नव ग्रहों की पूजा करें. इसके बाद जरूरतमंदों को दान दें और खिचड़ी का सेवन करें और हो सके तो दान भी करें
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