Makar Sankranti 2021 Dates Time: मकर संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना भी शुभ बताया गया है. यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो आपको घर ही पानी में तिल और गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन एक साफ चौकी लेकर उसपर गंगाजल छिड़कें और लाल वस्त्र बिछाएं.
नई दिल्ली: Makar Sankranti 2021 Dates Time: मकर संक्रांति भारत में प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है. यह त्योहार एक धार्मिक उत्सव के साथ-साथ नई फसल और नई ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति सूर्यदेव के मकर राशि में गोचर करने पर मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं. इस दिन सूर्यदेव मकर राशि में जाते हैं. शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है. इस कारण से यह दिन पिता और पुत्र के मिलन का दर्शाता है. आमतौर पर यह त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता है.
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने का विशेष महत्व
मना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने का विशेष महत्व है. इसलिए बहुत सी जगहों पर इस पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि मकर संक्रांति को क्षेत्र के आधार पर भी मनाया जाता है, जैसे उत्तर भारतीय हिंदुओं और सिखों द्वारा, इसे माघी कहा जाता है और लोहड़ी से पहले होता है. वहीं महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तेलंगाना, मध्य भारत में सुकरात, असमिया द्वारा माघ बिहू, और तमिलों द्वारा थाई पोंगल या पोंगल को भी पौष संक्रांति कहा जाता है. गुजरात में मकर संक्रांति के उत्सव को पतंगबाजी का आयोजन करके भी मनाया जाता है.
2021 में मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी 2021, दिन गुरुवार को है. जिसका शुभ मुहूर्त,
पुण्य काल 08:30 AM से 04:46 PM
मकर संक्रांति महा पुण्य काल 08:30 AM से 10:17 AM
पूजाविधि करने का सही तरीका
उसके बाद उस चौकी पर लाल चंदन से अष्टदल कमल बनाएं. इसके बाद सूर्यदेव का चित्र या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें और एक तांबे के लोटे में जल लेकर चौकी पर रखें और हाथ में अक्षत लेकर सूर्यदेव का आह्वान करें और सूर्यदेव को लाल चंदन का तिलक करें. इसके बाद उन्हें लाल पुष्पों की माला पहनाएं और लाल पुष्प अर्पित करें और फिर सूर्यदेव के मंत्रों का जप करें. इसके बाद उनका विधिवत पूजन करें. धूप और दीप अर्पित करें. इसके बाद उन्हें तिल और गुड़ से बने हुए लड्डुओं का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद तांबे के लोटे का जल सूर्यदेव को अर्पित करें. और सूर्य मंत्र का जप करें.
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