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Makar Sankaranti 2022 : जानिए मकरसंक्रांति का क्या है पौराणिक महत्व, भीष्म पितामाह ने त्यागा था देह

Makar Sankaranti 2022 नई दिल्ली, Makar Sankaranti 2022 हिन्दू धर्म में मकरसंक्रांति का बहुत ज़्यादा महत्व है.  माना जाता है कि इस दिन से शीत ऋतू का अंत और बसंत ऋतू की शुरुआत होती है.  इस दिन का एक सम्बन्ध महाभारत से भी बताया जाता है. महाभारत के भीष्म पितामाह ने 58 दिनों तक तीरो […]

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Makar Sankaranti 2022 :
  • January 12, 2022 11:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Makar Sankaranti 2022

नई दिल्ली, Makar Sankaranti 2022 हिन्दू धर्म में मकरसंक्रांति का बहुत ज़्यादा महत्व है.  माना जाता है कि इस दिन से शीत ऋतू का अंत और बसंत ऋतू की शुरुआत होती है.  इस दिन का एक सम्बन्ध महाभारत से भी बताया जाता है. महाभारत के भीष्म पितामाह ने 58 दिनों तक तीरो की सज्जा पर लेटने के बाद संक्रांत के दिन ही अपने प्राण त्यागे थे.

हर वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाने वाला पर्व मकर संक्रांत हिन्दू धर्म के लिए महत्त्व रखता है. मान्यता है कि इस दिन सूर्य देवता राशि परिवर्तन कर मकर राशि में गोचर करते हैं. साथ ही इस दिन खरमास भी ख़त्म हो जाता है. इस दिन का महत्व महाभारत से भी है. इसी दिन ही भीष्म पितामाह ने सूर्य भगवान के उत्तरनारायण होने की प्रतीक्षा की थी ताकि वह अपने प्राण त्याग सकें. पितामाह के ऐसा करने का क्या कारन था, आइये पढ़ते हैं.

महाभारत और संक्रांत की कथा

महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला था जिसमें भीष्म पितामाह ने 10 दिनों तक कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा था. युद्ध क्षेत्र में पितामाह का कौशल पांडवों के लिए चुनौती थी. पितामाह के इच्छामृत्युं से पांडवों की ये चुनौती और भी विकत हो चली थी. तब शिखंडी की सहायता से भीष्म को उनके धनुष को छोड़ने पर मजबूर किया गया.

धनुष छोड़ चुके पितामाह को अर्जुन एक के बाद एक तीरों के वार से धरती पर गिरा देता है. ऐसा होने के बाद पितामाह तीरों की चादर पर सो जाते हैं पर इच्छा मृत्यु के वरदान के कारण अपने प्राण नहीं त्यागते. हस्तिनापुर के पूरी तरह से सुरक्षित हो जाने का प्रण पितामाह को उनके प्राण त्यागने से रोक लेता है. पर इसके पीछे एक कारण सूर्य देवता के उत्तारायण होने का भी इंतेजार भी था. ऐसी मान्यता है की इस दिन अपने प्राण त्यागने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

भगवान कृष्ण ने भी बताया है महत्व

मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने भी संक्रांत का महत्व बताया है और कहा है कि 6 माह के काल में जब सूर्य देवता उत्तरनारायण होते है तो धरती सर्वाधिक प्रकाशमय होती है इस बीच शरीर त्यागने वाले व्यक्ति का पुनर जनम नहीं होता. व्यक्ति सीधा ब्रह्म को प्राप्त होता है. यही कारण है की भीष्म पितामाह ने अपना शरीर त्यागने के लिए सूर्य देवता के उत्तरनारायण होने तक की प्रतीक्षा की.

 

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