नई दिल्ली। आज का दिन यानी 4 अप्रैल महावीर जयंती क रूप में मनाया जाता है जो कि जैन धर्म के चौंबीसवें (24वें) और आखिरी तीर्थंकर थे। जैनों के अनुसार तीर्थंकर वह व्यक्ति है जिसने तप के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया हो और जिसने अपनी सारी भावनाओं पर पूरा नियंत्रण पा लिया हो, जैन धर्म में 24 तीर्थंकर माने गए है। स्वामी महावीर ने लोगों को सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखलाया था।
स्वामी महावीर का मुख्य सिद्धांत तो अहिंसा ही था उनका मानना था कि किसी जीव के प्रति दया का भाव होना चाहिए तथा उनकी रक्षा करनी चाहिए। इसके भगवान महावीर के जो पांच सिद्धांत प्रचलति है वो सत्य,अहिंसा,अस्तेय या अचौर्य,अपरिग्रह,ब्रह्मचर्य है।
भगवान महावीर अपने 12 वर्ष के कठोर तप के लिए जाने जाते हैं। इनका जन्म 599 बी सी में चैत्र शुक्ल तेरस के दिन, राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहां हुआ था। अपनी तपस्या के बाद स्वामी ने दिगंबर परंपरा स्वीकार ली थी जिसके चलते वे बाल ब्रह्मचारी थे लेकिन श्वेतांबर परम्परा के अनुसार और अपने माता-पिता के आदेशानुसार इन्हे यशोदा नामक सुकन्या से विवाह करना पड़ा। जैन धर्म के ग्रंथो में महावीर के और भी नामों का उल्लेख मिलता जो कि वर्धमान, वीर, अतिवीर, महावीर और सन्मति है।
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