नई दिल्ली: सनातन धर्म में शंख का समस्त वैदिक साहित्य में विशेष स्थान है. भारतीय संस्कृति में शंख को एक शुभ प्रतीक माना जाता है और ये सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली लाता है. बता दें कि शंख भगवान विष्णु का प्रमुख हथियार है. शंख की ध्वनि आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न है,
शिवपुरम इतिहास के अनुसार दैत्यराज दंभ की कोई संतान नहीं थी, और उसने संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की, हालांकि राजा देव की घोर तपस्या से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा देव से उन्हें वरदान देने का अनुरोध किया, तब उस महापराक्रमी ने एक पराक्रमी पुत्र की याचना की. फिर भगवान विष्णु ने तथास्तु कहा और अन्तर्धान हो गये.
जब शंखचूड़ युवावस्था में पहुंचा, तो उसने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए पुष्कर में कठोर तपस्या की, और उसकी तपस्या से संतुष्ट होकर ब्रह्मदेव ने वरदान मांगने को कहा तो शंखचूड़ ने देवताओं के लिए अजेय होने का वरदान मांगा. भगवान ब्रह्मा ने “तथास्तु” कहा और उन्हें श्री कृष्ण का कवच दिया,
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