नई दिल्ली: महाशिवरात्रि का महापर्व भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है, और पंचांग के मुताबिक हर साल फाल्गुन माह की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, और इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा. 8 मार्च को ग्रह योग सर्वथसिद्धि और […]
नई दिल्ली: महाशिवरात्रि का महापर्व भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है, और पंचांग के मुताबिक हर साल फाल्गुन माह की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, और इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा. 8 मार्च को ग्रह योग सर्वथसिद्धि और शिवयोग के शुभ संयोग में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है.
इस बार की महा शिवरात्रि खास होगी. पंचांग के मुताबिक महा शिवरात्रि पर इस तरह का योग संयोग और ग्रह स्थिति 300 साल में 1 या 2 बार ही बनती है. बता दें कि इस बार महा शिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जाएगी . हालांकि ग्रहों के शुभ संयोग और सर्वार्थसिद्धि योग शिवयोग में महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाता है, और इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की पूजा शीघ्र फल देने वाली मानी गई है. बता दें कि महाशिवरात्रि में श्रवण नक्षत्र के बाद शुक्रवार को धनिष्ठा नक्षत्र, शिवयोग, गृह करण और मकर/कुंभ राशि में चंद्रमा का योग है, जो कुंभ राशि में सूर्य, शनि और बुध की युति बन रही है. इस प्रकार का योग तीन शताब्दियों में 1 या 2 ही बार होता है जब नक्षत्र, योग और ग्रह स्थिति का संबंध केंद्रीय त्रिकोण से होता है.
1. महाशिवरात्रि त्योहार के दिन भगवान शिव की उपासना के समय शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करना काफी शुभ होता है,और ऐसा करने से श्रद्धालु के कार्य जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है और भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है.
2. महा शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक दही से करने से भी आर्थिक क्षेत्र में आ रही, सभी परेशानियां और कठिनाईया दूर हो जाती है.
3. गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करने से माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं.
4. भगवान शिव का अभिषेक करते समय 108 बार ‘ॐ पार्वतीपतये नमः’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए, ऐसा करने से जीवन में अकाल संकट कभी नहीं आता.
1. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पंचामृत से स्नान जरूर कराएं.
2. शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को केसर मिश्रित जल से 8 बार अभिषेक जरूर करें.
3. इसके बाद फिर रात भर का अखंड दीपक जरूर जलाएं, चंदन का तिलक भी लगाएं.
4. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा भी चढ़ाएं.
5. इन सबके बाद केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद जरूर बांटें.
Braj Ki Holi 2024: कान्हा की नगरी में शुरू हो गया 40 दिवसीय रंगोत्सव, देखें होली व्रज की पूरी सूची