Mahashivratri 2020 Subh Yog: महाशिवरात्रि को भगवान शंकर यानी शिव की रात्रि माना जाता है. भगवान शिव को समर्पित इस महाशिवरात्रि में भोलेनाथ की चार पहरों में पूजा की जाती है. इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व तीन शुभ योग में मनाया जाएगा. इस बार महाशिवरात्रि पर 29 सालों बाद के बाद शनि मकर राशि में होंगे. इसी वजह से शश योग का निर्माण हो रहा है. महाशिवरात्रि दीपावली के बाद सिद्धि के लिए सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती है. इसलिए इस राशि को सिद्धि रात्रि भी कहा जाता है.
Mahashivratri 2020 Subh Yog: महाशिवरात्रि को भगवान शंकर यानी शिव की रात्रि माना जाता है. भगवान शिव को समर्पित इस महाशिवरात्रि में भोलेनाथ की चार पहरों में पूजा की जाती है. इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व तीन शुभ योग में मनाया जाएगा. इसके साथ ही चंद्रमा और शनि की युति मकर राशि में होने के चलते इस महाशिवरात्रि का फल कई गुना बढ़ जाएगा. इस शुभ योग में भगवान शंकर की आराधना करने वाले लोगों को पुण्यफल की प्राप्ति होगी. इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि कब हैं महाशिवरात्रि और किन शुभ योगों में होगी भगवान शंकर की पूजा.
महाशिवरात्रि के दौरान इस संयोग में करे भगवान शंकर की पूजा
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव की आराधना इस बार तीन शुभ योगों में होगी. यह तीन योह शश, सुस्थिर व सर्वार्थ सिद्धि हैं. जिसकी वजह से इस बार महाशिवरात्रि की पावनता और बढ़ जाएगी. इन शुभ योग के दौरान भगवान शंकर की आराधना करने वाले भक्तों को कई गुना फल मिलेगा. महाशिवरात्रि के मौके पर भक्त लोग शिवालयों में भगवान शिव की पूजा अर्चना, रुद्राभिषेक व रात्रि जागरण कर ते है. इस बार महाशिवरात्रि पर 29 सालों बाद के बाद शनि मकर राशि में होंगे. इसी वजह से शश योग का निर्माण हो रहा है.
इस वर्ष 2020 में गुरु भी अपनी स्वामी राशि धनु में स्थित हैं, ऐसी स्थिति और चंद्र शनि के 1,4,7 या दसवें स्थान पर होने पर यह योग निर्मित होता है. महाशिवरात्रि पर बनने वाले इस योग में यदि कोई व्यक्ति पूजा करता है तो उसे विशेष फल प्राप्त होगा. वहीं इस दिन सर्वार्थसिद्धि व सुस्थिर योग होने के कारण महाशिवरात्रि का फल कई गुना बढ़ गया है. यह योग श्रवण नक्षत्र और चतुर्दशी तिथि के एक साथ होने पर ही बनते हैं. यह दोनों योग सबसे अधिक शुभ माने जाते हैं. जिसके चलते इस दिन पूजा करने वाले जातकों को विशेषफल प्राप्त होता है.
महाशिवरात्रि पर चंद्रमा और शनि की मकर राशि में युति हो रही है. इसी के चलते पंच महापुरुष योग बन रहा है. शनि को अपनी ही राशि मकर में रहने के कारण शश योग निर्मित हो रहा है. श्रवण नक्षत्र में आने वाली शिवरात्रि और मकर राशि के चंद्रमा का योग बनती है. महाशिवरात्रि के दिन बनने वाला यह शुभ संयोग शनि की अपनी राशि ही राशि मकर में होने और चंद्रमा के गोचर के कारण बन रहा है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की चारों पहले पूजा करने का भी नियम है.
बता दें कि कई लोगों की कुंडलियों में शश योग का निर्माण होता है. इस योग में जन्म लेने वाले जातकों को महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की उपासना जरूर करनी चाहिए. ऐसा करने से उन्हें इसका श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है और जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. यह योग हंस योग, मालव्य योग और रूचक योग की तरह ही उत्तम फलदायी होता है. महाशिवरात्रि दीपावली के बाद सिद्धि के लिए सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती है. इसलिए इस राशि को सिद्धि रात्रि भी कहा जाता है.
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