Mahalaya 2018: महालया पर्व पर विशेष रूप से बंगाली समुदाय के लोग पंडालों को सजाते है. और औरतें लाल नई साड़ी पहनकर देवी दुर्गा के आगमन की तैयारी करते है. महालया पर्व 8 अक्टूबर सोमवार के दिन मनाया जा रहा है. महालया पर्व नवरात्रि के शुरु होने से एक दिन पहले मनाई जाती है. अमावस्या की काली रात को बंगाली मां दुर्गा की पूजा करते हैं और मंदिर जाते है.
नई दिल्ली. Mahalaya 2018: अक्टूबर का महीना शुरु हो चुका है. इसी के साथ आने वाली 10 अक्टूबर से नवरात्र भी शुरु हो रहे है. नौं दिन तक भक्त मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा अराधना करते है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सितंबर महीने के बाद अक्टूबर और नवंबर का महीना हिंदू धर्म में खासा महत्तव रखता है. अक्टूबर में नवरात्रों के नौ दिन के बाद दशहरा के दस दिन बाद दिवाली का त्योहार हिंदू लोगों के लिए उत्साह और आनंद वाला रहता है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. इसी के साथ बंगाली समुदाय का मशहूर पर्व दुर्गा पूजा का भी आरंभ हो रहा है.
नवरात्र से पहले श्राध्द पक्ष की अमावस्या आती है जिस दिन बंगाली का विशेष त्योहार महालया पर्व मनाया जाता है. महालया का पर्व 8 अक्टूबर, सोमवार यानी आज के दिन मनाया जा रहा है. इस दिन बंगाली समुदाय के लोग तैयार होकर मां दुर्गा की पूजा करने के लिए मंदिर जाते है. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या की काली रात को मां दुर्गा का आर्शीवाद लेने और धरती पर उनके आने के लिए भक्त उनसे प्राथर्ना करते है. माता दुर्गा को धरती पर बुलाने का मकसद दैत्यों को सर्वनाश कर अपने भक्तों की रक्षा करना होता है.
महालया पर्व पर भक्त मां दुर्गा से कामना करते हैं कि वो उनके सारे दुख और संकटों को दूर करें. महालया की कथा के मुताबिक, अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की अमावस की रात को सभी बंगाली समुदाय के लोग एक साथ मिलकर मां दुर्गा की अराधना करते हैं. मंत्रों का ऊंचे स्वर में जाप कर कैलाश पर्वत पर बैठी देवी दुर्गा को धरती पर आने की कामना करते है. ऐसी मान्यता है कि माता दुर्गा अपने भक्तों को वहीं से आशीवार्द प्रदान करती है. जिसके बाद मां दुर्गा अपनी सवारी शेर पर सवार होकर धरती लोक पर आने के लिए प्रस्थान करती है. इस दिन बंगाली स्त्रियां नई लाल साड़ी पहनकर देवी की आगमन की तैयारियां करती है.
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