श्री कृष्ण ब्राह्मण का भेष धारण कर कर्ण के पास पहुंचे और उसे प्रणाम किया। जब कर्ण ने वहां आने का कारण पूछा, तो ब्राह्मण ने बताया कि मैं आपसे कुछ दान मांगने आया था। लेकिन आप मुझे इस हालत में क्या दे सकते हैं। ब्राह्मण की बात सुनकर कर्ण ने पास में पड़े एक पत्थर से अपने मुंह पर मारा और अपना सोने का दांत तोड़कर उसे दान कर दिया। अपने अंतिम समय में भी कर्ण की दानवीरता देखकर श्री कृष्ण प्रसन्न हुए और अपने वास्तविक रूप में आकर कर्ण से वरदान मांगने को कहा।
कर्ण ने मांगे तीन वरदान
कर्ण ने भगवान कृष्ण से पहला वरदान मांगते हुए कहा कि सूत पुत्र होने के कारण मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है, इसलिए अगले जन्म में श्री कृष्ण मेरे वर्ग के लोगों का कल्याण करें। कर्ण ने श्री कृष्ण से दूसरा वरदान मांगा कि श्री कृष्ण अपना अगला जन्म कर्ण के राज्य में लें। तीसरे वरदान के रूप में कर्ण ने मांगा कि उसका अंतिम संस्कार ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाए जिसने अपने जीवन में कोई पाप ना किया हो। इसलिए श्री कृष्ण ने स्वयं कर्ण का अंतिम संस्कार किया।