Maha Shivratri Vrat katha 2018: ये है महाशिवरात्रि की पूजा कथा और महत्व, इस तरह करें भोलेनाथ का जलाभिषेक

Maha Shivratri Vrat katha: इस बार महाशिवरात्रि 14 फरवरी को है. इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती शादी के बंधन में बंधे थे. इसलिए इस दिन महादेव की पूजा अर्चना की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की कथा और जलाभिषेक का महत्व है.

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Maha Shivratri Vrat katha 2018: ये है महाशिवरात्रि की पूजा कथा और महत्व, इस तरह करें भोलेनाथ का जलाभिषेक

Aanchal Pandey

  • February 9, 2018 11:14 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. महाशिवरात्रि का दिन सनातन धर्म के लिए बहुत ही प्रवित्र माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन महादेव शिवजी और माता पार्वती का विवाह हुआ था. ऐसा मना जाता है भागवान शिव को प्रसन्न कर सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है. चलिए जानते है महाशिवरात्रि की पूरी कथा.

पौराणिक कथा 

प्राचीन काल में जंगल में एक द्रुह नाम का शिकारी रहता था. वह जानवरो का शिकार कर के अपने घर वालों का पालन पोषण करता था. एक बार महाशिवरात्रि के दिन वह शिकार पर निकला था लेकिन जंगल में उसे कोई शिकार नहीं मिला. द्रुह को चिंता होने लगी की आज शिकार नहीं मिलेगा तो अपने बच्चें और पत्नी को क्या खाने को दूंगा. वह तो भूख से ही मर जाएगें. रात्रि के समय शिकारी तलाब के पास गया वह तोड़ा सा जल लेकर पेड़ पर शिकार करने के लिए बैढ़ गया उस पैड़ नीचे शिवलिंग था. तोड़ी देर बाद तलाब के पास एक हिरण आया शिकारी उसे देखकर शिकार के लिए तैयार हो गया. द्रुह पास जो जल था वह थोड़ा सा शिवलिंग पर गिर जिससे उसकी शिवरात्रि की पहली प्रहर की पूजा हो गई. जल गिरने से हिरण सावधान हो गया और वह शिकारी से बोलने लगा कि मुझे घर जाने दो ताकि मैं अपने बच्चों को उनकी मां के पास छोड़ आऊ उसके बाद तुम मेरा शिकार कर लेना.

तोड़ी देर बाद फिर एक और हिरण आता है उसी प्रकार जल शिवलिंग पर जल गिरता है और दूसरे पहर की भी पूजा हो जाती और हिरण पहले की तरह वचन लेकर चला जाता है. ठीक इसी प्रकार तीसरी बार भी होता है. शिकारी की इस पूजा से शिवजी प्रसन्न हो जाते है. जब तीनों हिरण वापस आते है तो उस शिकारी को ज्ञान होता है कि वह अब तक मैं कुकृत्य करके अपने परिवार का पालन कर रहा था . उसने अपने बाण को रोक लिया और उन हिरणों को जाने दिया. उसके ऐसा करने से भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और शिव ने उसे अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन दिया और उसे सुख समृद्धि का वरदान दिया. साथ ही शिव ने गुह का नाम भी दिया. महादेव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है.

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