दो नहीं चार बार आतीं हैं मां दुर्गा नवरात्रि ,जानें विशेष व्रत, फल विधि

नई दिल्ली। भारत मे हिंदू पर्व की अपनी अलग मान्यताएं एवं कहानी है, जिसकी तार हर सनातनियों के दिल से जुड़ी हैं ऐसी ही एक मानें जाने पर्व की कथा का वाचन आपके और हर सनातनियों के भाग्य खोल सकता है. मां दुर्गा का ये पर्व सदियों पुराना है जिसकी केवल कथा मात्र सुनने से […]

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दो नहीं चार बार आतीं हैं मां दुर्गा नवरात्रि ,जानें विशेष व्रत, फल विधि

Arpit Shukla

  • October 11, 2023 9:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। भारत मे हिंदू पर्व की अपनी अलग मान्यताएं एवं कहानी है, जिसकी तार हर सनातनियों के दिल से जुड़ी हैं ऐसी ही एक मानें जाने पर्व की कथा का वाचन आपके और हर सनातनियों के भाग्य खोल सकता है. मां दुर्गा का ये पर्व सदियों पुराना है जिसकी केवल कथा मात्र सुनने से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और‌ हर दुःख दुविधा को दूर करता है ये चमत्कारी व्रत तो‌ चलिए जानते हैं आखिरकार इस पर्व की महिमा के बारे में. क्या आपको पता है कि नवरात्रि व्रत साल में चार बार आते हैं. इस बार 15 अक्टूबर से शरद नवरात्रि प्रारम्भ होने जा रही है, जो कि 23 अक्टूबर तक समाप्त हो जाएगी.

नवरात्रि पर्व विशेष

नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूप का त्यौहार है जिसमे माँ दुर्गा के नौ रूप की पूजा की जाती है. हलाकि नवरात्रि का पर्व साल में चार बार आता है मगर दो बार नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है, बाकी की दो नवरात्रि में‌ पहले चैत्र माह की नवरात्रि शामिल हैं. मगर चैत्र नवरात्र का महत्व कुछ खास है और इसे खास बनता है राम लाला का जन्म, हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपादा से लेकर नौ दिनो तक माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. नौवें दिन रामनवी का पर्व मानाया जाता है जो की राम लाला के जन्म दिवस का रूप में मनाई जाती है.

फिर बारी आती है शरद नवरात्रि की जो‌ कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. चैत्र नवरात्रि की तरह शरद नवरात्रि में भी मां के अलग-अलग रूपों की पुजा की जाती है और नौवें दिन यथा विधि से हवान किया जाता है. माना जाता है इन नौ दिनो जो भी व्रत करता है एव माँ दुर्गा की नवरात्रि व्रत कथा को सुनता है उसके सभी कष्ठ दूर हो जाते है तथा मृत्यु के बाद उनको स्वर्ग प्राप्त होता है, हवन के बाद‌ कन्या पूजन किया जाता है जिसमे छोटी छोटी कन्याओं को माँ दुर्गा के नौ रूप मान कर उनको हलवा पुरी का भोग लगाया जाता है.

तिलक लगा कर उनकी पूजा की जाती हैं और दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है. इसी के 21 दिन बाद दीपावली का त्योहार भी मनाया जाता है. बाकी के बचें गुप्त नवरात्रि पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष होती है और दूसरी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष मानाई जाती है.

गुप्त नवरात्रि के‌ गुप्त होने कि क्या है वज़ह

चैत्र और शरद नवरात्रि में सभी लोग व्रत और पूजा पाठ कर सकते हैं मगर गुप्त नवरात्रि केवल गुप्त विद्या की प्राप्ति करनें के लिए होते हैं जिसमें गुप्त मंत्र विधा शामिल हैं. क्योंकि सभी तंत्र मंत्र विधा को गुप्त रूप से सीखा जाता है इस लिए गुप्त नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है जिसमें आम लोग पूजा नहीं कर सकते.

चमत्कारी है ये कथा और‌ व्रत

मां दुर्गा की नवरात्रि व्रत कथा को केवल सुनने मात्र से ही सारी दिक्कतें दुःख दुविधाएं दूर हो जाती है, रोगी मनुष्य का रोग दूर हो जाता है इस तमाम पापों को दूर करने वाले व्रत को घर अथवा मंदिर में विधि पूर्वक करने के तमाम पापों से छुट कर मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रतिप्रदा से लेकर नौं दिनों तक व्रत करें अगर नौं दिनों का व्रत नहीं कर सकते तो पहला और‌ आखिरी दिन व्रत रख सकते हैं. और यदि नौं दिनों तक भूखें नहीं रह सकते तो‌ एक समय फलाहारी भोजन करें. नौवें दिन हवन करें तथा कन्या पूजन कर मां को विधि अनुसार विदा करें मां इन नौं दिनों में आप पर कृपा बनाएं रखतीं हैं और प्रसन्न होने पर मनवांछित फल प्रदान करतीं हैं

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