lalahi chhath 2018 hal shashti vrat 2018 balram jayanti: ललही छठ, हलषष्ठी या हल छठ के नाम से जाने वाले इस व्रत के दिन महिलाएं संतान सलामती के लिए पूजा करती हैं. जन्माष्टमी से दो दिन पहले हलषष्ठी या हल छठ का पर्व मनाया जाता है इसे बलराम जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इस बार यह पर्व 1 सितंबर को पड़ रहा है.
नई दिल्ली. भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को ललही छठ या हल षष्ठी व्रत का त्योहार मनाया जाता है. इसे कई नामों से जाना जाता है. इस त्योहार को श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जयंती के रूप में मनाया जाता है. बलराम जयंती को ही ही ललही छठ, हल षष्ठी के नाम से जाना जाता है. इस बार बलराम जयंती 1 सितंबर को पड़ रही है. इस दिन भी श्रद्धालु व्रत व पूजन करते हैं.
ललही छठ, हलषष्ठी या हल छठ महत्व
हलषष्ठी या हल छठ को जन्माष्टमी पर्व से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है. भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम को बलदेव, बलभद्र और बलदाऊ के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू ज्योतिशास्त्र के अनुसार बलराम को हल और मूसल से खास लगाव था इसीलिए इस त्योहार को हल षष्ठी के नाम से जाना जाता है. बलराम जयंती के दिन किसान वर्ग खास तौर पर पूजा करते हैं. इस दिन हल, मूसल और बैल की पूजा करते हैं.
ललही छठ, हलषष्ठी या हल छठ व्रत पूजन विधि
हलषष्ठी या हल छठ पर मूसल, बैल व हल की पूजा की जाती है इसीलिए इस दिन हल से जुती हुई अनाज व सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. संतान की लंबी आयु के लिए किए जाने वाला यह व्रत काफी शक्तिशाली बताया जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भैंस के गोबर से पूजा घर में दीवनर पर छठ माता का चित्र बनाकर पूजा करती हैं. इस दिन माता गौरी व गणेश की पूजा करने का विधान है. पूजा करने के बाद गांव की महिलाएं एक साथ बैठकर कथा सुनती हैं.
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