नई दिल्ली: लाभ पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व खासकर गुजरात और राजस्थान में बड़े उत्साह से मनाई जाती है। लाभ पंचमी दिवाली के पांचवें दिन आती है और इसे सौभाग्य व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि […]
नई दिल्ली: लाभ पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व खासकर गुजरात और राजस्थान में बड़े उत्साह से मनाई जाती है। लाभ पंचमी दिवाली के पांचवें दिन आती है और इसे सौभाग्य व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसे व्यापारी वर्ग के लिए आर्थिक वर्ष की नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
लाभ पंचमी का अर्थ है “लाभ” अर्थात लाभ प्राप्ति और “पंचमी” यानी कि पांचवां दिन। यह दिन विशेष रूप से आर्थिक लाभ, समृद्धि और सुख-शांति की कामना के लिए मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन करने से आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है और घर में संपन्नता बनी रहती है। व्यापारी वर्ग इस दिन को अपने नए आर्थिक वर्ष की शुरुआत मानते हैं और पूजा के माध्यम से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
1. स्नान और शुद्धिकरण: लाभ पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थान को भी साफ-सुथरा रखें।
2. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन: लक्ष्मी मां और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें। उनकी विधिवत पूजा करें। पूजा में फूल, अक्षत, रोली, धूप-दीप और मिठाई का भोग लगाएं।
3. धन-धान्य की पूजा: इस दिन व्यापारी अपने धन और खजाने की पूजा भी करते हैं। घर के तिजोरी या गल्ले की साफ-सफाई कर मां लक्ष्मी के समक्ष रखते हैं और धन की वृद्धि की कामना करते हैं।
4. मंत्र जाप: लाभ पंचमी पर “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः” मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मकता और समृद्धि बनी रहती है।
5. विशेष प्रसाद: पूजा के बाद लाभ पंचमी का विशेष प्रसाद, जैसे लड्डू या हलवा, बांटने का प्रचलन है। इसे पूरे परिवार में बांटने से घर में एकता और प्रेम बना रहता है।
लाभ पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त इस वर्ष प्रातःकाल से लेकर दोपहर तक का है।
– तिथि प्रारंभ: 6 नवंबर 2024 को रात 12:16 बजे से।
– तिथि समाप्त: 7 नवंबर 2024 को रात 12:41 बजे तक।
पूजा के लिए सुबह 6:37 बजे से 10:15 बजे तक का समय अत्यंत शुभ माना जा रहा है। इस समय मां लक्ष्मी की पूजा करने से लाभ, सौभाग्य और शांति की प्राप्ति होती है।
– यह पर्व खासतौर पर व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है, जो इसे नए आर्थिक वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाते हैं।
– इस दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है, जो धन और संपत्ति के देवता माने जाते हैं।
– मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन से मां लक्ष्मी की आराधना करता है, उसके जीवन में आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
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