Kumbh Mela: वृंदावन में वैष्णव कुंभ लग रहा है जिसे कुंभ बैठक भी कहा जाता है. देश में चार प्रमुख कुंभ लगते है. हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज. जानिए शाही स्नान का महत्व.
नई दिल्ली/ यूपी के वृंदावन में वैष्णव कुंभ लग रहा है जिसे कुंभ बैठक भी कहा जाता है. देश में चार प्रमुख कुंभ लगते है. हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज. हालांकि इसमें वैष्णव अखाड़े हिस्सा लेते हैं. इस कुंभ में सबसे ज्यादा शाही स्नान का महत्व होता है. इस शाही स्नान के लिए देश के कोने-कोने से साधु-संत, सन्यासी और महात्मा आते हैं.
जानिए शाही स्नान का महत्व
सनातन परंपरा के अनुसार कुंभ मेले में शाही स्नानों का विशेष महत्व है. ये शाही स्नान अखाड़ा विशेष के महंत एवं उनके नागा शिष्य करते हैं. विभिन्न अखाडा के महंत एवं नागा सूर्योदय से पूर्व गंगा में डुबकी लगाते हैं, ये संत प्रतिदिन 1008 बार गंगा में डुबकी लगाते हैं. इनके स्नान करने के बाद ही आम श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं. प्रत्येक श्रद्धालु गंगा में कम से कम 5 डुबकियां लगाते हैं. कुछ श्रद्धालु अपने साथ परिजनों के नाम की भी डुबकियां लगाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी के पाप कट जाते हैं.
जानिए शाही स्नान में क्या होता है?
इसमें विभिन्न अखाड़ों से ताल्लुक रखने वाले साधु-संत सोने-चांदी की पालकियों, हाथी-घोड़े पर बैठकर स्नान के लिए पहुंचते हैं. सब अपनी-अपनी शक्ति और वैभव का प्रदर्शन करते हैं. इसे राजयोग स्नान भी कहा जाता है, जिसमें साधु और उनके अनुयायी पवित्र नदी में तय वक्त पर डुबकी लगाते हैं. माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में डुबकी लगाने से अमरता का वरदान मिल जाता है. यही वजह है कि ये कुंभ मेले का अहम हिस्सा है और सुर्खियों में रहता है. शाही स्नान के बाद ही आम लोगों को नदी में डुबकी लगाने की इजाजत होती है. ये स्नान तय दिन पर सुबह 4 बजे से शुरू हो जाता है.
जानिए आखिर क्यों शाही स्नान के लिए कुंभ में अखाड़े आपस में लड़ जाते हैं
कई बार अखाड़ों के बीच शाही स्नान को लेकर लड़ाई की घटनाएं अभी भी सामने आती हैं. ऐसा अभी नहीं बल्कि काफी पहले से होता आ रहा है. 13वीं से 18वीं सदी के बीच में जब शाही स्नान की परंपरा शुरू की गई तो अखाड़ों के बीच में सबसे पहले स्नान करने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई. इससे नदियों के तट खून से लाल होने लगे. एक – दूसरे से लड़ झगड़ कर पहले स्नान करने के लिए भी भगदड़ मच जाती और लड़ाइयां होने लगतीं है. इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने अखाड़ों का क्रम कुंभ में तय किया.
Haridwar Kumbh Mela: हरिद्वार में कुंभ स्नान के लिए दिखानी होगी संतों को कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट
Haridwar Kumbh Mela: कुंभ मेले पर भी कोरोना का सायां, सिर्फ 28 दिनों का होगा मेला