नई दिल्ली. यूपी के प्रयागराज में कुंभ 2019 की शुरूआत हो चुकी है. 21 जनवरी पौष पूर्णिमा के दिन कुंभ मेले का दूसरा शाही स्नान होगा. लाखों की तादद में श्रद्धालु शाही स्नान पर दान के साथ कल्पवास करेंगे. पौष महीने के 11वें दिन से लेकर माघ महीने के 12वें दिन तक कल्पवास रहता है. कल्पवास के पूरे महीने जप, तप और अनुशासित जीवन शैली से कल्पवासियों को ना सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि मानसिक, सामाजिक और शारीरिक रूप से भी फायदा मिलता है.
जानें क्या कल्पवास
संगम तट पर कुंभ मेले के दौरान कल्पवास का एक खास महत्व है. ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, कल्पवास की अवधि पौष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी से शुरू होकर माघ महीने की एकादशी तक रहेगी.
पद्म पुराण में इसका महत्व
महर्षि दत्तात्रेय ने पद्म पुराण में कल्पवास की पूर्ण व्यवस्था के बारे में बताया है. जिसके मुताबिक कल्पवासी को इक्कीस नियमों का पालन करना जरूरी है.
जानें कल्पवास के नियम
अहिंसा, सत्यवचन, ब्रह्माचर्य का पालन, सूर्योदय से पूर्व शैय्या-त्याग, पितरों का पिण्डदान, साधु सन्यासियों की सेवा, जप और संकीर्तन, एक समय का भोजन, भूमि शयन, आग का सेवन नहीं करना, अंतर्मुखी जप, सत्संग समेत कई नियम जरूरी हैं जिनमें व्रत एवं उपवास, सत्संग, दान और ब्रह्माचर्य का विशेष महत्व है.
जानें कब-कब हैं शादी स्नान
21 जनवरी 2019– पौष पूर्णिमा
4 फरवरी 2019– मौनी अमावस्या
10 फरवरी 2019– बसंत पंचमी
19 फरवरी 2019– माघी पूर्णिमा
4 मार्च 2019– महाशिवरात्रि
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