Kumbh Mela 2019: कुंभ मेला 2019 की शुरूआत 15 जनवरी से हो रहा है. प्रयागराज में संगम के अलावा और भी कई जगह है जहां पर आपको जरूर घूमना चाहिए. प्रयागराज भारत का पहला ऐसा जगह है जहां पर करोड़ों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं.
प्रयागराज: 2019 कुंभ मेले को शुरू होने में अब कुछ दिन ही बचे हैं. इस बार कुंभ मेले की शरूआत 15 जनवरी से होगा और यह 4 मार्च तक चलेगा. कुंभ मेले को लेकर प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली है. कुंभ मेला दुनिया का पहला ऐसा जगह है जहां पर लगभग 15 करोड़ से भी ज्यादा लोग आते हैं. कुंभ मेले का हिंदू धर्म की सनातन परपंरा में एक अहम स्थान हैं. कुंभ मेले की शुरूआत मकरसंक्राती के स्नान से होता है. प्रयागराज को संगम के नाम जाना जाता है. यहां दो नदियों गंगा और यमुना के मिलने से तीसरी नदी का जन्म होता है जिसे सरस्वती कहा नदी कहा जाता है. जहां पर ये तीनों नदियां मिलती हैं उसे संगम कहा जाता है. कुंभ मेले में अगर आप भी जा रहें तो इन महत्तवपूर्ण जगहों पर घूमना न भूले-
लेटे हनुमान मंदिर- लेटे हुए हनुमान का मंदिर दारागंज में स्थित है. यह मंदिर गंगा के किनारे स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि सर्थ गुरु रामदास जी ने यहां भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी. इस मंदिर के निकट श्रीराम और सीता मंदिर स्थित है. यहां हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं.
भारद्वाज आश्रम – भरद्वाज आश्रम मुनि भरद्वाज के समय शिक्षा का केंद्र थी. ऐसी मान्यता है की भगवान राम वनवास जाते समय यहां पर लक्ष्मण के साथ आए थे और यहां पर यज्ञ किया था.
शंकर विमान मण्डपम- शंकर विमान मंण्डपम है. इस मंदिर में तिरुपति बालाजी के अलावा कई देवी देवताओं की मंदिर है. यह मंदिर का निर्माण साउथ के शिल्पकार ने बनाया था. उत्तर भारत में साउथ शिल्पकारों द्वारा बनाई गई यह इकलौता मंदिर है.
श्री अखिलेश्वर महादेव- यह मंदिर इलाहाबाद के रसूलाबाद में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 500 एकड़ में किया गया है. सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर को गुलाबी पत्थरों से बनाया गया है. इस मंदिर में अखिलेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है.
दशाश्वमेघ मंदिर- दशाश्वमेघ मंदिर दारागंज में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि दशाश्वमेघ मंदिर में भगवान राम ने यज्ञ किया था. इस मंदिर के निकट में देवी अन्नपूर्णा ,भगवान हनुमान का मंदिर स्थित है.
रानी विक्टोरिया स्मारक- रानी विक्टोरिया स्मारक को समर्पित इटालियन स्थापत्य कला का एक जीवंत उदाहरण है. इस 1906 में जेम्स डिगेस ला टच ने बनवाया था. इस स्मारक में रानी विक्टोरिया कि एक बड़ी मूर्ती लगी हुई थी जो अब नहीं है.
प्रयाग संगीत समिति- प्रयाग संगीत समिति की स्थापना 1962 में हुई थी. इसको स्थापित करने के पीछे मु्ख्य उद्देश्य था संगीत एवं नृत्य कला को बढ़ावा देना. इसके माध्यम से भारतीय संगीत की शिक्षा विदेशों में भी दी जाती थी.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय- इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. इसकी स्थापना 1887 में कि गई थी. इसकी स्थापना का श्रेय सर विलियम म्योर को जाता है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पहले म्योर कॉलेज के नाम से जाना जाता था. एक शताब्दी से अधिक इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत के सबसे श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल था.
पब्लिक लाइब्रेरी- यह लाइब्रेरी चंद्र आजाद पार्क में स्थित है. इसकी ऐतिहासिक पुस्तके रखी गई हैं. राज्य पहली विधानसभा बैठ इसी भवन में हुई थी. पब्लिक लाइब्रेरी की स्थापना 1878 में की गई.
आनंद भवन- प्रयागराज में आनंद भवन कर्नलगंज में स्थित है. इसके बगल में भरद्वाज आश्रम है. भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू से संबधित वास्तुएं यहां पर रखी गई हैं. सबसे ज्यादा भीड़ यहां जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर होती है. यहां पर एक तारामंडल भी है जिसे दर्शकों के लिए खोला जाता है.
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