Krishna Janmashtami 2019: राधा को खोने के बाद कृष्ण ने तोड़ दी थी अपनी बांसुरी

Krishna Janmashtami 2019: इस जन्माष्टमी जानें राधा और कृष्ण की वो अनकही कहानी जो आपने अबतक नहीं सुनी होगी. हम आपको बताने जा रहे हैं कि कृष्ण और राधा की सबसे प्रिय वस्तु बांसुरी के बारे में जो कृष्ण भगवान ने खुद अपने हाथों से तोड़ दी थी.

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Krishna Janmashtami  2019: राधा को खोने के बाद कृष्ण ने तोड़ दी थी अपनी बांसुरी

Aanchal Pandey

  • August 17, 2019 6:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी की मिशाल तो शदियों से दी जाती है. सच्चे प्यार और मोहब्बत का जीता जागता उदाहरण हमे राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी में देखने को मिलता है. जिसमें सच्चाई, सिद्दत और स्वतंत्रता थी, दोनों एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे हालांकि दोनों का विवाह नहीं हो पाया इस बात का मलाल आज भी सबको खटकता है. राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी अमर है जो शदियों से सुनने आ रहे हैं. दोनों की प्रेम कहानी में कई तरह की बातें आए दिन सुनने को मिलते रहते हैं, लेकिन राधा और कृष्ण की सबसे प्रिय वस्तु क्या थी ये शायद ही आपको पता हो, हम आपको बताने जा रहे हैं कि कृष्ण और राधा की सबसे प्रिय वस्तु बांसुरी के बारे में जो कृष्ण भगवान ने खुद अपने हाथों से तोड़ दी थी.

ये सब जानते हैं कि कृष्ण और राधा अलग हो गए थें. कृष्ण की बांसुरी पर राधा अक्सर थिरकती थी उनकी बांसुरी की आवाज से राधा दौड़ी चली आती थीं. बांसुरी को राधा और श्रीकृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. एक समय आया जब कृष्ण राधा से बिछड़ने लगे, जब कृष्ण मथुरा चले गए और कंस का वध करके कभी वृदांवन नहीं लौटे. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण कंस के वध के लिए जन्म लिया था. मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण राधा से मिले और उन्होंने वादा किया कि वह लौट कर आएंगे. राधा ने भी उनसे वादा किया कि उनके मन में सदा कृष्ण ही बसे रहेंगे. वापस आने का वादा कृष्ण नहीं निभा पाएं.

राक्षसों को मारने के बाद कृष्ण द्वारका चले गए और वहां उनकी शादी रुक्मणी से हो गई. वहीं राधा की भी शादी हो चुकी थी. राधा के मन में हमेशा ही कृष्ण का वास रहा, लेकिन उन्होंने अपने पत्नी धर्म के सभी कर्तव्यों को निभाया. लेकिन एक वक्त पर सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जीवन के आखिरी दौर में वह कृष्ण से मिलने पहुंचीं, जहां उन्हें कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का पता चला. द्वारका में कोई पहचान नहीं पाया तो वह भगवान श्रीकृष्ण के महल में शरणार्थी के तौर पर रहने लगीं और महल में काम करने लगीं. राधा ने अपनी आखिरी समय में कृष्ण को याद किया तब कृष्ण उनके सामने आ गए.

राधा ने उनसे आखिरी बार बांसुरी बजाने की इच्छा प्रकट की. कृष्ण के बांसुरी के धुन को सुनते- सुनते राधा ने अपना शरीर त्याग दिया. लेकिन कृष्ण तब तक बांसुरी बजाते रहे जब तक राधा आध्यात्मिक रूप से कृष्ण में विलिन नहीं हो गई. भगवान श्रीकृष्ण राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनके प्रेम के प्रतीक बांसुरी को तोड़कर झाड़ी में फेंक दी.

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