नई दिल्ली. श्री कृष्ण जन्माष्टमी इस बार 2 सितंबर को है. इस खास मौके पर श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा का खास महत्व होता है. जानिए क्या है जन्माष्टमी महत्व, पूजा विधि, इतिहास. बता दें कृष्ण जयंती को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल यह कृष्ण जी की 5245वीं जयंती है. जन्माष्टमी के अवसर पर भक्त भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए उपवास रखते हैं.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत पूजा विधि
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालु निर्जला व्रत रखते हैं. इस दिन सुबह स्नान के बाद श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित की जाती है. इसके बाद श्रीकृष्ण की प्रतिमा के आगे फूल-फल समप्रित करें. इसके बाद धूप अर्चना करें. पूजा के बाद श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने संकल्प लें. इसके साथ ही माता लक्ष्मी जी की भी मूर्ति स्थापित कर के उनका भी पूजन करें. इस दिन रात को चंद्र अर्घ्य दिया जाता है.
जन्माष्टमी व्रत ध्यान मंत्र
योगेश्वराय योगसंभावय योगपतये गोविन्दाय नमो नमः.
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस बार अष्टमी 2 सितंबर रात 08:47 पर लगेगी और 3 सितंबर की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 रात 08.47
अष्टमी तिथि समाप्त: 3 सितंबर 2018 शाम 07.20
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 रात 8 बजकर 48 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 3 सितंबर 2018 रात 8 बजकर 5 मिनट.
निशीथ काल पूजन समय: 2 सितंबर 2018 को रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12.48 मिनट तक.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2018 व्रत का पारण: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 05 मिनट के बाद.
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