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Krishna Janmashtami 2018: इस दिन मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी, सिर्फ 45 मिनट है पूजा का शुभ मुहूर्त

Krishna Janmashtami 2018: अगस्त में रक्षाबंधन के बाद सितंबर माह के पहले हफ्ते में ही कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा. इस बार 2 सितंबर को जन्माष्टमी पड़ रही है. इस बार पूजा का मुहूर्त महज 45 मिनट का है. मथुरा की कारावास में जन्मे भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन गोकुल में हुआ था.

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Shri Krishna Janamashtami 2018
  • August 7, 2018 4:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः अगस्त माह में कई त्योहारों के चलते चारों ओर खुशी का माहौल बना रहता है. सावन मास शुरू होते ही भगवान भोलेनाथ की भक्ति, स्वतंत्रता दिवस के रूप में देश की आजादी का जश्न, तीज, रक्षा बंधन, कृष्ण जन्माष्टमी जैसे एक के बाद एक कई त्योहार हमारे जीवन में खुशियां बिखेरते हैं और हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं. अमूमन अगस्त में पड़ने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी इस बार 2 सितंबर को मनाई जाएगी. इस बार पूजा का मुहूर्त सिर्फ 45 मिनट का है.

11 अगस्त को साल का तीसरा सूर्यग्रहण पड़ रहा है. 26 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात ठीक 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी वजह से हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार 2 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस बार पूजा का समय रात 11:57 से 12:43 तक यानी 45 मिनट का है.

जानकारों के अनुसार, 2 सितंबर, 2018 को रात 8 बजकर 47 मिनट से अष्टमी तिथि का आरंभ होगा और इसका समापन 3 सितंबर को शाम 7 बजकर 19 मिनट पर होगा. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में सराबोर उनके भक्त पूरा दिन उपवास रखकर उनके जन्म के उपरांत व्रत खोलते हैं. इस दिन कान्हा का घी, मक्खन, दूध, जल आदि से अभिषेक कराया जाता है. मक्खन अधिक पसंद होने की वजह से श्रीकृष्ण को माखन चोर भी कहा जाता है. श्रीकृष्ण ने भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में जन्म लिया था.

यह है पौराणिक कथा

भगवान कृष्ण का माता का नाम देवकी था. देवकी का भाई कंस बहुत ही अत्याचारी राजा था. वह अपनी प्रजा पर बेहद जुल्म ढाता था. कंस का वध करने के लिए ही भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे. देवकी का विवाह यदुवंशी राजकुमार वासुदेव से हुआ था. उनके विवाह के पश्चात एक बार जब कंस उन्हें लेकर घर आ रहा था तो एक आकाशवाणी हुई थी जिसके अनुसार, वासुदेव और देवकी की 8वीं संतान उसका वध करेगी. अपनी मौत से घबराकर कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागार में बंद कर दिया. कंस ने उनकी सातों संतानों का वध कर दिया. भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में भगवान श्रीहरि ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया. कंस की नजरों से बचाकर वासुदेव कान्हा को गोकुल छोड़ आए. जिसके बाद श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर प्रजा को उसके भय से मुक्ति दिलाई.

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