नई दिल्ली: अक्सर आपने देखा होगा कि घर के कई हिस्सों में घुसने से पहले हमें जूते-चप्पल उतारने के लिए कहा जाता है. दरअसल हिंदू शास्त्रों में घर को मंदिर का दर्जा दिया गया है क्योंकि माना जाता है कि घर में देवी-देवता विराजते हैं. वहीं कई लोगों का मानना है कि जूते चप्पल उतार के जाने से घर के भीतर किटाणु प्रवेश नहीं कर पाते हैं. दूसरी तरफ वास्तु शास्त्र का मानना है कि घर में जूते-चप्पल न पहनने की वजह से नकारात्मक ऊर्जाएं प्रवेश नहीं कर पाती हैं.
दरअसल दैवीय उर्जा के वास के लिए घर के कई हिस्सों में जूते-चप्पलों को पहनकर धूमने को मना किया जाता है. ऐसे में घर की रसोई को एक जरूरी हिस्सा माना जाता है क्योंकि वहां घर में रहने वाले लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाता है. खाना पकाने के लिए रसोई में अग्नि प्रज्जवलित की जाती है और शास्त्र में अन्न और अग्नि को पूजनीय माना गया है इसलिए रसोई में जूते-चप्पल पहनकर जाने के लिए मना किया जाता है.
इसके अलावा भंड़ार घर में भी जूते-चप्पल पहनकर जाना मना होता है क्योंकि भंडार घर में अन्न रखा जाता है. इसलिए अन्न को देव तुल्य मानते हुए ऐसा कहा जाता है. लोगों का मानना है कि अगर हम अन्न का अपमान करते हैं तो हमारे जीवन पर गलत प्रभाव डाल सकता है. वहीं दूसरी तरफ घर की तिजोरी में भी जूते-चप्पल पहनकर जाने को मना किया जाता है क्योंकि घर की तिजोरी में धन रखा जाता है जो कि माता लक्ष्मी का एक रूप माना गया है. जिस तरह पूजा घर में जूते-चप्पल को पहनकर नहीं जा सकते उसी तरह जहां धन रखा हो वहां भी जूते-चप्पल पहनकर जाने के लिए मना किया जाता है.
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