नई दिल्ली। सनातन धर्म की अपनी अलग मान्यता और अलग रिवाज है। जिसमें विवाह भी मुहूर्त और तिथि के अनुसार ही होता है और शुभ मुहूर्त में विवाह संपन्न करने से वर-वधु को सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा उनका वैवाहिक जीवन भी सुखमय बना रहता है. क्या अपको मालुम है कि विवाह का शुभ […]
नई दिल्ली। सनातन धर्म की अपनी अलग मान्यता और अलग रिवाज है। जिसमें विवाह भी मुहूर्त और तिथि के अनुसार ही होता है और शुभ मुहूर्त में विवाह संपन्न करने से वर-वधु को सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा उनका वैवाहिक जीवन भी सुखमय बना रहता है. क्या अपको मालुम है कि विवाह का शुभ मुहूर्त और तिथि का सीधा संबंध भगवान विष्णु से माना गया है. तो चलिए जानतें है किस प्रकार संबध रखते है भगवान विष्णु और क्या है देवउठनी एकादशी.
शास्रो के अनुसार ये एकादशी भगवान विष्णु के सोने और जागनें सें सबंध रखता है. भगवान विष्णु देवशयन एकादशी के दिन निद्रा में चले जाते हैं. वहीं देवउठनी एकादशी यानी कार्तिक माह की एकादशी पर भगवान जाग जाते हैं. देवउठनी एकादशी इस साल 22 नवंबर 2023 की रात 9 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन दिन 23 नवंबर 2023 की रात 11 बजकर 02 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार 23 नवंबर को ही देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी. इसके बाद ही 24 नवंबर से विवाह के लग्न की शुरूआत हो जाएगी. यानी इसके बाद विवाह किए जा सकते हैं.
देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की भी शुरुआत होती है. चातुर्मास में शादी-विवाह और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. धार्मिक मान्यताओ के अनुसार चातुर्मास के बाद देवउठनी एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु जागते हैं और इसी के बाद मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है. मांगलिक कार्य, विवाह इत्यादी कार्य होने शुरू हो जाते हैं. इस बार देवउठनी एकादशी नवंबर महीनें में है. इस साल मलमास लगनें के कारण सभी तरह के शुभ मांगलिक कार्य और शादी-विवाह की तिथि में थोड़ा समय लग रहा है. यानी विलंब हुआ है.