नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कार्तिक महीने को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने कई बड़े त्योहार मनाएं जातें हैं. मगर क्या आपको मालूम है कि एक और ऐसा पर्व है जिसकी मान्यता सनातन में है. जी हां हम बात कर रहे हैं भूत चतुर्दशी की तो आइए जानते हैं आखिर इस दिन होता […]
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कार्तिक महीने को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने कई बड़े त्योहार मनाएं जातें हैं. मगर क्या आपको मालूम है कि एक और ऐसा पर्व है जिसकी मान्यता सनातन में है. जी हां हम बात कर रहे हैं भूत चतुर्दशी की तो आइए जानते हैं आखिर इस दिन होता क्या है और भूतों का इससे सम्बंध क्या है.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस बार भूत चतुर्दशी 11 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी. इस दिन तांत्रिक पूजा की जाती है. इतना ही नहीं इस दिन अघोरी भूत उत्सव मनाते हैं और पूजा और अनुष्ठान भी करते हैं. ऐसा माना जाता है इस दिन एक परिवार के 14 पूर्वज (मृतक) अपने जीवित परिवार जनों से मिलने आते हैं. ज्यादातर यह परंपरा पश्चिम बंगाल में देखने को मिलती हैं.
भूत चतुर्दशी को भारत के भिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इस दिन यमराज के नाम से दीपक भी जलाया जाता है. साथ ही तंत्र विद्या सीखने वाले जातक अपनी तंत्र विद्या का प्रदर्शन भी करते हैं और पश्चिम बंगाल में इस दिन मां काली की पूजा अर्चना की जाती है. तंत्र शास्त्र भी मां काली की पूजा साधना को अधिक प्रभावशाली बताते हैं. इस दिन बुरी आत्माओं की छाया से मुक्ति के लिए काली मां की पूजा होती है.
इस दिन भूतों की शक्तियां अधिक प्रभावशाली होती है जिनको हावी होने से बचाने के लिए 14 दीपों को जलाया जाता है. ये 14 दियें 14 पूर्वजों के नाम से जलाएं जातें हैं ताकि पूर्वज आकाश में घूम रही बुरी शक्तियां अधिक हावी ना हो. क्योंकि तांत्रिक तंत्र विद्या की मदद से भूतों को बुलाते हैं.