September 20, 2024
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जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण ,महिलाएं श्राद्ध कर सकती हैं या नहीं?

  • WRITTEN BY: Sachin Kumar
  • LAST UPDATED : September 30, 2023, 7:07 pm IST

वाराणसी: पितरों की पूजा का महापर्व पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है जिसमें पितरों की शांति के लिए पिंडदान किया जाता हैं. हिन्दू पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक पिंडदान, यानी श्राद्ध किया जाता है. आमतौर पर पुरुष ही पिंड दान कार्य को करते है. ऐसे में सबके मन में एक सवाल आता है कि क्या महिलाएं भी श्राद्ध और पिंडदान कर सकती हैं या नहीं…

काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय का कहना है कि शास्त्रों में महिलाओं को भी श्राद्ध करने का अधिकार है. गरुण पुराण में इस बात का जिक्र है कि जिनको पुत्र नहीं होता उसकी पुत्री भी श्राद्ध कर सकती है. इतना ही नहीं पुत्र की अनुपस्थिति में घर की महिला पिंडदान या श्राद्ध कर सकती है.

पिंडदान करतें वक्त रखे इन बातों का ध्यान

श्राद्ध करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. पिंडदान के समय सफेद वस्त्र पहनने चाहिए. पितृपक्ष के 16 दिनों में तामसी भोजन नहीं करना चाहिए. तथा नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। इसके साथ ही श्राद्ध को पूरे श्रद्धा भाव से करना चाहिए.

सतयुग में माता सीता ने भी किया था पिंडदान

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सीता ने भी भगवान राम की अनुपस्थिति में अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान यानी श्राद्ध किया था. कथाओं के अनुसार रामजी और लक्ष्मण जब दशरथ के श्राद्ध के लिए सामान लेने गए थे तो उन्हें वापस लौटने में देरी हो गई थी. उस समय माता सीता ने बालू से पिण्ड बनाकर राजा दशरथ का पिंडदान श्राद्ध किया था.

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