ज्योतिष के अनुसार, हर रत्न की अपनी एक ऊर्जा होती है, जो सही तरीके से उपयोग करने पर सकारात्मक परिणाम देती है। लेकिन यदि इन्हें बिना नियम और सलाह के पहना जाए, तो यह लाभ के बजाय हानि भी पहुंचा सकता है।
नई दिल्ली: रत्न केवल सौंदर्य बढ़ाने का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और भाग्य को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। ज्योतिष के अनुसार, हर रत्न की अपनी एक ऊर्जा होती है, जो सही तरीके से उपयोग करने पर सकारात्मक परिणाम देती है। लेकिन यदि इन्हें बिना नियम और सलाह के पहना जाए, तो यह लाभ के बजाय हानि भी पहुंचा सकता है।
1. ज्योतिषीय परामर्श लें: रत्न पहनने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेना बहुत आवश्यक है। आपके जन्म कुंडली और ग्रह स्थिति के आधार पर ही यह तय होता है कि कौन सा रत्न आपके लिए शुभ रहेगा।
2. शुद्ध रत्न का चयन करें: रत्न पहनने से पहले उसकी शुद्धता की जांच करवाएं। अशुद्ध या नकली रत्न पहनने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।
3. उचित धातु का उपयोग करें: हर रत्न को एक विशेष धातु में जड़वाना होता है। जैसे पन्ना (एमराल्ड) को सोने में, नीलम (ब्लू सैफायर) को चांदी में पहनना चाहिए।
4. पहनने का शुभ मुहूर्त: रत्न पहनने का समय और दिन ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार तय करना चाहिए। उदाहरण के लिए, पुखराज (टॉपाज़) को बृहस्पतिवार और मोती को सोमवार के दिन पहनना शुभ माना जाता है।
5. पूजा और शुद्धिकरण करें: रत्न को पहनने से पहले उसकी शुद्धि और पूजन करना अनिवार्य है। गंगाजल या कच्चे दूध से रत्न को साफ करें और फिर मंत्रोच्चार के साथ धारण करें।
– मानसिक तनाव: गलत रत्न पहनने से मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।
– स्वास्थ्य समस्याएं: गलत ऊर्जा के प्रभाव से शरीर पर नकारात्मक असर हो सकता है।
– आर्थिक हानि: जीवन में आर्थिक अस्थिरता और नुकसान हो सकता है।
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