नई दिल्ली: माना जाता है कि जिस भी धर्म में जन्म लिया हो, उसका अंतिम संस्कार भी उसी के अनुसार किया जाना चाहिए। सभी धर्मों में अंतिम संस्कार का बहुत महत्व है। इसीलिए अलग-अलग धर्मों में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। कुछ धर्मों में अभी भी कुछ समानताएं हैं। हिंदू […]
नई दिल्ली: माना जाता है कि जिस भी धर्म में जन्म लिया हो, उसका अंतिम संस्कार भी उसी के अनुसार किया जाना चाहिए। सभी धर्मों में अंतिम संस्कार का बहुत महत्व है। इसीलिए अलग-अलग धर्मों में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। कुछ धर्मों में अभी भी कुछ समानताएं हैं। हिंदू धर्म और सिख धर्म में दाह संस्कार की प्रक्रिया में कई रस्में मिलती-जुलती हैं। दोनों धर्मों में शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि सिख धर्म में कैसे अंतिम संस्कार किया जाता है।
➨ सब की अपनी होती है धार्मिक मान्यताएं
जब धार्मिक मान्यताओं की बात आती है तो इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए क्योंकि यह लोगों की परंपराओं से संबंध रखते है। दुनिया में बहुत सी चीजें अच्छाई और बुराई के दायरे में आती हैं, लेकिन इस दायरे में आस्था को लाना सही नहीं है क्योंकि यह लोगों की भावनाओं से बंधी होती है और भावनाएं न तो अच्छी होती हैं और न ही बुरी, वे परे होती हैं।
➨ शरीर का अंतिम संस्कार क्यों किया जाता है?
दुनिया भर में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख सभी धर्मों में नियम-कायदों के अनुसार अंतिम संस्कार करने को महत्व दिया जाता है। आखिर शव के दाह संस्कार के पीछे क्या मकसद है? ऐसा माना जाता है कि यदि विधि-विधान से अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है, तो आत्मा मुक्त नहीं होती है और भटकती रहती है। आत्मा की मुक्ति और घर की सुख-शांति के लिए सभी धर्मों में प्रचलित अपने-अपने रीति-रिवाजों के अनुसार धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाता है।
➨ सिख धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया सिख धर्म और हिंदू धर्म में बहुत समान है। हिंदू धर्म में जहां महिलाओं को श्मशान घाट जाने की इजाजत नहीं है। वहीं, सिख धर्म में महिलाएं श्मशान घाट भी जा सकती हैं। सिख धर्म में किसी की मृत्यु के बाद सबसे पहले शव को धोया जाता है। तो सिख धर्म के 5 मुख्य प्रतीकों को कंघा, कटार, कड़ा, कृपाण और केश को सजाया गया है। उसके बाद मृतक के परिजन व रिश्तेदार वाहेगुरु का नाम लेकर शव को श्मशान ले जाते हैं। तब मृतक का कोई करीबी ही चिता को मुखाग्नि देता है।
➨ 10 दिनों तक होता गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ
दाह संस्कार के बाद श्मशान घाट से लौटने पर सभी स्नान करते हैं। रात में भजन और अरदास की जाती है। फिर सिखों के मुख्य धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। सिख समुदाय में यह पाठ 10 दिन तक होता है। इसके बाद गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ में शामिल हुए सभी लोगों को कड़ा प्रसाद दिया जाता है। फिर भजन कीर्तन भी किया जाता है। सभी मिलकर मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना व अरदास करते हैं।
(Disclaimer: यह खबर सिर्फ जानकारी के लिए लिखी गई है। यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है। न ही हमारा मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना है। )