हिमाचल प्रदेश का शिकारी देवी मंदिर अपने आप में अद्भुत है. देवी के इस मंदिर पर छत नहीं है. कई बार छत बनवाने की कोशिश भी की गई लेकिन किसी ना किसी वजह से छत का निर्माण पूरा नहीं हो पाया. नवरात्रि के शुभ अवसर पर जानें मां के इस अनोखे धाम की कथा....
शिमलाः देवी की शक्तिपीठों के लिए मशहूर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में माता का एक मंदिर ऐसा भी है जिस पर छत ही नहीं है. शिकारी देवी के नाम से विख्यात ये मंदिर चौहार घाटी में एक ऊंचे शिखर पर करीब 2850 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ऐसा नहीं कि इस मंदिर में छत के निर्णाण के प्रयास नहीं किए गए, कई बार कोशिशों के बाद भी यहां छत बनाने में लोग असफल रहे. लोगों की मान्यता है कि यहां मां को खुले में रहना ही पसंद है शायद इसलिए लाख कोशिशों को बाद भी यहां छत नहीं बन पाई.
क्या पौराणिक कथा
स्थानीय निवासियों की माने तो ऋषि मार्कण्डेय ने मां को प्रसन्न करने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उन्हें दर्शन दिए और यहीं स्थापित हो गईं. इसके बाद अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां मां की तपस्या की जिससे खुश होकर देवी ने उन्हें महाभारत के युद्ध में विजयी होने का वरदान दिया. जिसके बाद उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया. हालांकि उन्होंने मंदिर पर छत क्यों नहीं बनवाई ये बात अभी भी रहस्य बनी हुई है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि कितनी भी बर्फवारी हो लेकिन मंदिर में कभी बर्फ नहीं टिकती. माता की मूर्ति के साथ यहां मां चंडी और कमरुनाग देवता की मूर्तियां भी स्थापित हैं.
क्यों पड़ा शिकारी देवी नाम
लोगों का कहना है कि यहां पहले शिकारियों का घर हुआ करते थे शिकारी शिकार में सफलता पाने के लिए वह लोग यहां मां की आराधना करते थे. कहा जाता है कि इसी के चलते इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ा.
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