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Chhath Puja Kharna Shubh Muhurat: शाम 6:45 से रात 9:55 तक है खरना का शुभ मुहूर्त, इसके बाद शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

Chhath Puja Kharna Shubh Muhurat: नहाय खाय के साथ छठ पूजा महापर्व रविवार से शुरू हो चुका है. आज खरना है. खरना का मतलब है शुद्धिकरण. छठ पूजा में खरना का खास महत्व है.

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Kharna Shubh Muhurat 2018
  • November 12, 2018 12:08 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. बिहार-झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का महापर्व रविवार को नहाय खाय से शुरू हो चुका है. सोमवार को खरना है. खरना की तैयारियां रविवार से ही शुरू हो चुकी हैं. आज सूर्यास्त के समय अर्घ्य के साथ ही खरना पूर्ण होगा. खरना का समय शाम 6:45 से रात 9:55 तक है. यह पर्व क्षेत्रीय न होकर अब देशभर के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाने लगा है. नहाय खाय से शुरू होने वाले इस पर्व में दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.

खरना का मतलब है शुद्धिकरण. खरना में व्रती शुद्ध अंतःकरण से कुलदेवता और सूर्य एवं छठ मैय्या की पूजा कर गुड़ का नैवेद्य अर्पित करते हैं. सूर्यदेव को अर्पित की जाने वाली खीर व्रती द्वारा स्वयं बनाई जाती है. यह खीर अरवा चावल या साठी के चावल की बनाई जाती है. इसे बनाने में ईंधन के तौर पर सिर्फ लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. आम की लकड़ियों से खीर पकाना शुभ माना जाता है. आम की लकड़ी की उपलब्धता न हो पाने के चलते दूसरी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. खरना व्रत पंचमी को किया जाता है. खरना के बाद करीब 36 घंटे का बिना पानी पीए व्रत शुरू होता है.

खरना पूजन के बाद पहले व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं. व्रती के बाद परिवार के अन्य लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस प्रसाद के बाद व्रती अगले दिन सूर्य अर्घ्य के बाद ही कुछ ग्रहण करते हैं. सांध्य और सुबह का अर्घ्य देने के बाद ही व्रती व्रत का परायण कर सकते हैं. खरना के बाद दो दिन और साधना करनी होती है. इस दौरान जमीन पर सोना होता है. व्रती के सोने के स्थान को साफ सुथरा और पवित्र होना चाहिए.

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