भक्तिभाव से भगवान को भोग लगाना भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मान्यता है कि शुद्ध और पवित्र भाव से भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
नई दिल्ली: भक्तिभाव से भगवान को भोग लगाना भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मान्यता है कि शुद्ध और पवित्र भाव से भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। लेकिन भोग लगाते समय कुछ छोटी-छोटी गलतियाँ हो सकती हैं, जो न केवल अनिष्ट का कारण बन सकती हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में विपत्तियों को भी आमंत्रित कर सकती हैं। आइए जानते हैं ऐसी गलतियों के बारे में, जिन्हें करने से बचना चाहिए।
भोग लगाते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अशुद्ध हाथों से भगवान को भोग चढ़ाना अपवित्र माना जाता है। इससे भक्ति का प्रभाव कम हो सकता है और भगवान की कृपा प्राप्त नहीं होती।
भगवान को हमेशा सात्विक भोजन का ही भोग लगाना चाहिए। मांस, अंडे, प्याज या लहसुन से बने भोजन को भगवान को अर्पित करना वर्जित है। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है।
भोग लगाते समय दिन के समय और पूजा के नियमों का ध्यान रखना चाहिए। बिना स्नान किए, सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद भोग लगाना अनुचित है। यह भगवान के प्रति अनादर माना जाता है।
भगवान को कभी भी जूठा या बासी भोजन नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करना अपवित्रता का संकेत है और यह आपके जीवन में बाधाओं को जन्म दे सकता है।
भोग चढ़ाने के समय मन का स्थिर और शांत होना आवश्यक है। यदि आप जल्दबाजी या लापरवाही में भोग चढ़ाते हैं, तो इसका शुभ परिणाम नहीं मिलता।
भगवान के प्रसाद को हमेशा श्रद्धा और सम्मान के साथ ग्रहण करना चाहिए। इसे बिखेरना या अपवित्र स्थान पर रखना गलत है।
पुराणों और धर्मग्रंथों के अनुसार, भोग लगाते समय की गई गलतियाँ व्यक्ति के जीवन में संकट ला सकती हैं। ऐसी मान्यता है कि अशुद्धता और अनादर से भगवान अप्रसन्न हो जाते हैं, जिससे परिवार में कलह, स्वास्थ्य समस्याएँ, और आर्थिक परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।
1. भोग के लिए ताजे और शुद्ध भोजन का उपयोग करें।
2. भोग के समय पूजा स्थल को साफ और व्यवस्थित रखें।
3. भगवान का ध्यान करते हुए शांत मन से भोग अर्पित करें।
4. प्रसाद को सभी के साथ मिल-बाँटकर खाएँ।
Also Read…