नई दिल्ली: नेम प्लेट घर की पहचान होती है और इसके माध्यम से घर के मालिक का नाम और पता दर्शाया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, नेम प्लेट की स्थिति और डिज़ाइन पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है। सही ढंग से लगाई गई नेम प्लेट घर के वास्तु को संतुलित करती है और […]
नई दिल्ली: नेम प्लेट घर की पहचान होती है और इसके माध्यम से घर के मालिक का नाम और पता दर्शाया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, नेम प्लेट की स्थिति और डिज़ाइन पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है। सही ढंग से लगाई गई नेम प्लेट घर के वास्तु को संतुलित करती है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए:
वास्तु शास्त्र के अनुसार, नेम प्लेट को घर के मुख्य दरवाज़े के बायीं ओर या दरवाज़े के ऊपर लगाना चाहिए। इसे दरवाज़े के ठीक सामने लगाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे ऊर्जा का प्रवाह रूक सकता है। यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने की अनुमति देता है।
नेम प्लेट का आकार और सामग्री भी महत्वपूर्ण होती है। इसे लकड़ी, धातु या एक्रेलिक से बनवाना चाहिए। प्लास्टिक से बनी नेम प्लेट वास्तु के अनुकूल नहीं मानी जाती। नेम प्लेट का आकार दरवाज़े के अनुपात में होना चाहिए और अत्यधिक बड़ा या छोटा नहीं होना चाहिए।
नेम प्लेट का रंग भी महत्वपूर्ण होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, नेम प्लेट पर गहरे रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जैसे कि काले या गहरे नीले रंग। हल्के और सादे रंग जैसे सफेद, क्रीम या हल्का पीला शुभ माने जाते हैं। डिज़ाइन में पारंपरिक और सरल रूप से नाम लिखा जाना चाहिए, और इसमें कोई जटिल चित्र या डिज़ाइन नहीं होना चाहिए।
नेम प्लेट पर अक्षर स्पष्ट और पढ़ने में आसान होने चाहिए। अक्षरों का आकार ऐसा हो कि वे दूर से भी स्पष्ट दिखें। धुंधले या पेंट के चिपकने से अक्षर अस्पष्ट हो सकते हैं, इसलिए नियमित रूप से नेम प्लेट की सफाई करनी चाहिए।
नेम प्लेट को घर के उत्तर या पूर्व दिशा की ओर लगाना शुभ होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। किसी भी अन्य दिशा में नेम प्लेट लगाने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
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