इस साल करवा चौथ 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी. भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान बहुत पहले से सुहागिन स्त्रियां मनाती आ रही हैं. अब करवा चौथ का त्योहार गांवो तक पहुंच गया है. गावों में रहने वाली महिलाओं से लेकर शहरों में रहने वाली आधुनिक महिलाएं तक सभी सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ रखती हैं. करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस व्रत को सुबह सुर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है.
करवा चौथ के दिन महिलाएं आखिर चांद को छलनी से क्यों देखती हैं:
बहुत सालों पुरानी एक कहानी है . छ: भाईयों की बीच एक छोटी बहन है. जिसका नाम करवा होता है. वह अपनी पति की दीर्घ आयु के लिए व्रत रखती है. जब उसके सभी भाई शाम को घर आतें है तो देखते हैं कि करवा भूख से व्याकुल है. करवा के भाई उससे बहुत प्यार करते थे. इसलिए उसको भूख से तड़पता हुआ नहीं देख सकते थे. करवा के भाईयों ने पेड़ के आड़ में नकली चांद दिखा कर उसकी व्रत को तुड़वा देते हैं. बिना असली चांद देखे करवा अपनी व्रत तो तोड़ देती है. जिससे उसके पति की मौत हो जाती है. लेकिन करवा एक पतिव्रता स्त्री होती है पूरे एक साल की तपस्या के बाद अगले साल व्रत के दिन अपने पति को जिंदा करवा लेती है भगवान से. उस दिन से ही करवा चौथ के दिन चांद को छलनी से देखने का चलन चल पड़ा.
व्रत की विधि: कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है,
उस दिन प्रातकाल स्नान करके अपने सुहाग की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निरहार रहें .
पूजा विधि – करवा चौथ के दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजा करें. पूजन के लिए बालू और सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर लिखे हुए सभी भगवानों को स्थापित करें.
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