Karva Chauth 2018 Dates Calendar: भारत में हर साल कई त्योहार मनाए जाते हैं. जिनका अपना अलग महत्व होता है. वैसे ही हिन्दू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए करवा चौथ का महत्व होता है. जानिये कब है करवा चौथ 2018 व्रत, इस साल 28 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया जाएगा.
नई दिल्ली :Karva Chauth 2018 Dates Calendar: भारत में पर्व का सीजन शुरू हो गया है. नवरात्रि और दशहरा के बाद करवा चौथ आता है. जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. करवा चौथ 2018 सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत अधिक महत्व होता है. जानिये कब है करवा चौथ 2018 व्रत, इस साल करवा चौथ (Karva Chauth 2018 Dates) का पर्व 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा. ये एक दिन का त्यौहार प्रत्येक वर्ष भारत की विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. विवाहित महिलाएँ पूरे दिन का उपवास रखती हैं ये व्रत सुबह सूर्योदय के साथ शुरु होता है और चन्द्रोदय के बाद खत्म होता है.
करवा चौथ व्रत 2018 महिलाएँ अपने पति की सुरक्षा और लम्बी उम्र के लिए बिना पानी और बिना भोजन के पूरे दिन कठिन व्रत रखती हैं. मुख्य रुप से ये व्रत भारतीय राज्यों राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश के कुछ भोगों, हरियाणा और पंजाब में मनाया जाता था हालांकि आज कल ये भारत के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में सभी महिलाओं द्वारा मनाया जाता है कभी करवा चौथ का व्रत कुछ अविवाहित लड़कियों द्वारा भी रखा जाता है अपने मंगेतर की लंबी उम्र के लिए रखती हैं.
करवा चौथ के मौके पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए दिनभर व्रत रखती हैं. इसके बाद रात को चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं. इस दिन महिलाएं शिव, पावर्ती और कार्तिक की पूजा-अर्चना करती हैं. फिर शाम को छलनी से चंद्रमा और पति को देखते हुए पूजा करती हैं. फिर अंत में चांद का दीदार करने के बाद महिलाएं पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं. ये माना जाता है कि अगर छलनी में चंद्रमा देखते हुए पति की शक्ल देखना शुभ माना जाता है.
करवा चौथ के शुभ मुहूर्त के समय ही पूजा करनी चाहिए. 28 अक्टूबर को करवा चौथ पूजा के लिए शुभ अवधि 1 घंटे और 18 मिनट तक रहेगी. करवा चौथ पूजा का समय शाम 5:36 शाम को शुरू होगा. शाम 6:54 पर पूजा का समय खत्म होगा. और चंद्रोदय का समय रात 8:40 मिनट पर बताया जा रहा है.
सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके पूजा घर की सफाई की जाती है. फिर सास जो भोजन देती हैं वो भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें. फिर बिना जल पिये सारा दिन भगवान का जाप करना चाहिए. यह व्रत शाम को सूरज अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए. शाम के समय मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें. 10 से 13 करवे रखें. पूजा में धूप, दीप, चन्दन, रोली और सिन्दूर थाली में सजा कर रखें. और दीपक चलाते समय पर्याप्त मात्रा में घी रखना चाहिए ताकि वो पूरे समय जलता रहे. चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरु हो जानी चाहिए. ये जब अच्छा माना जाता है तब पूरा परिवार पूजा में शामिल हो. पूजा के समय ही करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. चन्द्रमा को छलनी से देखा जाना चाहिए. फिर अंत में पति के हाथों से जल पीकर व्रत समाप्त हो जाता है.
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